Cold Wave, Keoladeo Bird Rush and Cyber Fraud Crackdown Dominate Bharatpur Today
28 Dec, 2025
Bharatpur, Rajasthan
भरतपुर ज़िले में कड़ाके की सर्दी, बढ़ती साइबर ठगी की घटनाएं और केवला देव राष्ट्रीय उद्यान में प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट – ये तीनों मिलकर आज क्षेत्र की सबसे बड़ी सुर्खियां बन रहे हैं। घने कोहरे और गिरते पारे के बीच जहां आमजन को रोजमर्रा की ज़िंदगी में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं पर्यटन और सुरक्षा मोर्चे पर भी ज़िला प्रशासन अलर्ट मोड पर दिख रहा है।
सबसे पहले बात मौसम की। शीतलहर के कारण शहर और ग्रामीण इलाकों दोनों में सुबह-शाम सड़कें सूनी नज़र आ रही हैं। कोहरे की घनी चादर के कारण दृश्यता कम होने से बस और निजी वाहनों की रफ्तार थमी हुई है। देर से खुलते बाज़ार, स्कूलों में समय परिवर्तन की स्थानीय चर्चाएं और अलाव की बढ़ती मांग ने सर्दी की मार को और स्पष्ट कर दिया है। किसानों के लिए यह मौसम रबी फसलों के लिहाज़ से तो फायदेमंद माना जा रहा है, लेकिन लगातार पाला पड़ने की आशंका को लेकर वे भी सजग हैं और खेतों में रात के समय सिंचाई और धुएं का सहारा ले रहे हैं।
इधर पर्यटन की राजधानी कहे जाने वाले भरतपुर में केवला देव राष्ट्रीय उद्यान एक बार फिर सुर्खियों में है। सर्दियों के चरम दौर में साइबेरिया सहित एशिया और यूरोप के कई हिस्सों से प्रवासी पक्षियों का झुंड भरतपुर पहुंच चुका है। पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए यह सुनहरा समय है, और होटल व होमस्टे संचालकों के मुताबिक इस सीज़न में बुकिंग तेज़ी से बढ़ रही है। प्रबंधन ने पार्क के भीतर भीड़ नियंत्रण, गाइडेड साइकिल और रिक्शा सफारी की विशेष व्यवस्थाएं की हैं, ताकि नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र और पक्षियों की सुरक्षा प्रभावित न हो। स्थानीय गाइडों के अनुसार इस बार कुछ दुर्लभ प्रजातियों के भी दिखने की चर्चाएं हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरतपुर की चर्चा और बढ़ रही है।
पर्यटन बढ़ने के साथ ही सुरक्षा और व्यवस्था की चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और पार्क गेट के आसपास प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस निगरानी और यातायात व्यवस्था मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। होटल और गेस्ट हाउसों को पर्यटक रजिस्टर सावधानी से रखने, संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को देने और ऑनलाइन पेमेंट में धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहने की हिदायत दी गई है।
इसी कड़ी में भरतपुर देशभर में उभरते एक और बड़े मुद्दे – साइबर अपराध – को लेकर भी चर्चा में है। राष्ट्रीय स्तर की रिपोर्टों में भरतपुर–मथुरा–आगरा त्रिकोण को साइबर ठगी के एक प्रमुख हब के रूप में चिन्हित किए जाने के बाद स्थानीय पुलिस ने डिजिटल फ्रॉड के खिलाफ विशेष अभियान तेज़ कर दिया है। आये दिन कॉल, मैसेज और फर्जी ऐप के ज़रिये “डिजिटल अरेस्ट”, केवाईसी अपडेट और बैंक वॉलेट ब्लॉक जैसी धमकियों से आम लोगों को फंसाने की कोशिशें सामने आ रही हैं। इसके चलते जिले में साइबर हेल्पडेस्क को मज़बूत किया जा रहा है और थानों के स्तर पर भी तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई हो सके।
पुलिस और प्रशासन की ओर से गांव–गांव और शहरी बस्तियों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चौपालों, स्कूलों, स्वयं सहायता समूह बैठकों और पंचायत स्तर की मीटिंगों के माध्यम से समझाया जा रहा है कि किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, ओटीपी, एटीएम पिन या यूपीआई पिन किसी से साझा न करें और वीडियो कॉल या स्क्रीन-शेयरिंग ऐप के ज़रिये “डिजिटल हिरासत” जैसी किसी भी धमकी पर तुरंत 112 या साइबर हेल्पलाइन पर संपर्क करें। बैंक और फिनटेक कंपनियों के स्थानीय प्रतिनिधियों को भी निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे बुजुर्ग ग्राहकों और ग्रामीण खाताधारकों को सरल भाषा में सावधानियां समझाएं।
इधर, अपराध नियंत्रण के मोर्चे पर पुलिस ने शहर और हाईवे पर रात्रि गश्त बढ़ाई है। ठंड और कोहरे के बीच लूट और सड़क दुर्घटनाओं की आशंका को देखते हुए हाइवे पेट्रोलिंग, दुर्घटना संभावित स्थानों पर चेतावनी बोर्ड और ब्लैक स्पॉट पर अतिरिक्त प्रकाश की व्यवस्था पर ज़ोर दिया जा रहा है। बस ऑपरेटरों और ट्रक ड्राइवरों को तेज़ रफ्तार पर नियंत्रण और अत्यधिक कोहरे में वाहन सड़क किनारे सुरक्षित स्थान पर खड़ा करने की अपील की जा रही है।
स्थानीय स्तर पर नागरिक संगठनों और युवाओं के समूह भी इस कठोर मौसम में जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। कुछ समाजसेवी संस्थाएं बस अड्डे, रेलवे स्टेशन और अस्पतालों के बाहर गरीब और बेघर लोगों के लिए रजाई–कंबल और गर्म कपड़ों के वितरण अभियान चला रही हैं। उनका कहना है कि प्रशासनिक कोशिशों के साथ समाज की साझी पहल भी सर्दी और असुरक्षा – दोनों से लड़ने में अहम भूमिका निभाएगी।
कुल मिलाकर, भरतपुर इस समय एक ओर कुदरत की खूबसूरती और प्रवासी पक्षियों के स्वागत में डूबा है, तो दूसरी ओर मौसम की मार और डिजिटल अपराध जैसी नई चुनौतियों से भी जूझ रहा है। प्रशासन और समाज के साझा प्रयासों से आने वाले दिनों में हालात किस तरह बदलते हैं, इस पर सभी की नज़र टिकी हुई है।
सबसे पहले बात मौसम की। शीतलहर के कारण शहर और ग्रामीण इलाकों दोनों में सुबह-शाम सड़कें सूनी नज़र आ रही हैं। कोहरे की घनी चादर के कारण दृश्यता कम होने से बस और निजी वाहनों की रफ्तार थमी हुई है। देर से खुलते बाज़ार, स्कूलों में समय परिवर्तन की स्थानीय चर्चाएं और अलाव की बढ़ती मांग ने सर्दी की मार को और स्पष्ट कर दिया है। किसानों के लिए यह मौसम रबी फसलों के लिहाज़ से तो फायदेमंद माना जा रहा है, लेकिन लगातार पाला पड़ने की आशंका को लेकर वे भी सजग हैं और खेतों में रात के समय सिंचाई और धुएं का सहारा ले रहे हैं।
इधर पर्यटन की राजधानी कहे जाने वाले भरतपुर में केवला देव राष्ट्रीय उद्यान एक बार फिर सुर्खियों में है। सर्दियों के चरम दौर में साइबेरिया सहित एशिया और यूरोप के कई हिस्सों से प्रवासी पक्षियों का झुंड भरतपुर पहुंच चुका है। पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए यह सुनहरा समय है, और होटल व होमस्टे संचालकों के मुताबिक इस सीज़न में बुकिंग तेज़ी से बढ़ रही है। प्रबंधन ने पार्क के भीतर भीड़ नियंत्रण, गाइडेड साइकिल और रिक्शा सफारी की विशेष व्यवस्थाएं की हैं, ताकि नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र और पक्षियों की सुरक्षा प्रभावित न हो। स्थानीय गाइडों के अनुसार इस बार कुछ दुर्लभ प्रजातियों के भी दिखने की चर्चाएं हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरतपुर की चर्चा और बढ़ रही है।
पर्यटन बढ़ने के साथ ही सुरक्षा और व्यवस्था की चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और पार्क गेट के आसपास प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस निगरानी और यातायात व्यवस्था मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। होटल और गेस्ट हाउसों को पर्यटक रजिस्टर सावधानी से रखने, संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को देने और ऑनलाइन पेमेंट में धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहने की हिदायत दी गई है।
इसी कड़ी में भरतपुर देशभर में उभरते एक और बड़े मुद्दे – साइबर अपराध – को लेकर भी चर्चा में है। राष्ट्रीय स्तर की रिपोर्टों में भरतपुर–मथुरा–आगरा त्रिकोण को साइबर ठगी के एक प्रमुख हब के रूप में चिन्हित किए जाने के बाद स्थानीय पुलिस ने डिजिटल फ्रॉड के खिलाफ विशेष अभियान तेज़ कर दिया है। आये दिन कॉल, मैसेज और फर्जी ऐप के ज़रिये “डिजिटल अरेस्ट”, केवाईसी अपडेट और बैंक वॉलेट ब्लॉक जैसी धमकियों से आम लोगों को फंसाने की कोशिशें सामने आ रही हैं। इसके चलते जिले में साइबर हेल्पडेस्क को मज़बूत किया जा रहा है और थानों के स्तर पर भी तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई हो सके।
पुलिस और प्रशासन की ओर से गांव–गांव और शहरी बस्तियों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चौपालों, स्कूलों, स्वयं सहायता समूह बैठकों और पंचायत स्तर की मीटिंगों के माध्यम से समझाया जा रहा है कि किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, ओटीपी, एटीएम पिन या यूपीआई पिन किसी से साझा न करें और वीडियो कॉल या स्क्रीन-शेयरिंग ऐप के ज़रिये “डिजिटल हिरासत” जैसी किसी भी धमकी पर तुरंत 112 या साइबर हेल्पलाइन पर संपर्क करें। बैंक और फिनटेक कंपनियों के स्थानीय प्रतिनिधियों को भी निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे बुजुर्ग ग्राहकों और ग्रामीण खाताधारकों को सरल भाषा में सावधानियां समझाएं।
इधर, अपराध नियंत्रण के मोर्चे पर पुलिस ने शहर और हाईवे पर रात्रि गश्त बढ़ाई है। ठंड और कोहरे के बीच लूट और सड़क दुर्घटनाओं की आशंका को देखते हुए हाइवे पेट्रोलिंग, दुर्घटना संभावित स्थानों पर चेतावनी बोर्ड और ब्लैक स्पॉट पर अतिरिक्त प्रकाश की व्यवस्था पर ज़ोर दिया जा रहा है। बस ऑपरेटरों और ट्रक ड्राइवरों को तेज़ रफ्तार पर नियंत्रण और अत्यधिक कोहरे में वाहन सड़क किनारे सुरक्षित स्थान पर खड़ा करने की अपील की जा रही है।
स्थानीय स्तर पर नागरिक संगठनों और युवाओं के समूह भी इस कठोर मौसम में जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। कुछ समाजसेवी संस्थाएं बस अड्डे, रेलवे स्टेशन और अस्पतालों के बाहर गरीब और बेघर लोगों के लिए रजाई–कंबल और गर्म कपड़ों के वितरण अभियान चला रही हैं। उनका कहना है कि प्रशासनिक कोशिशों के साथ समाज की साझी पहल भी सर्दी और असुरक्षा – दोनों से लड़ने में अहम भूमिका निभाएगी।
कुल मिलाकर, भरतपुर इस समय एक ओर कुदरत की खूबसूरती और प्रवासी पक्षियों के स्वागत में डूबा है, तो दूसरी ओर मौसम की मार और डिजिटल अपराध जैसी नई चुनौतियों से भी जूझ रहा है। प्रशासन और समाज के साझा प्रयासों से आने वाले दिनों में हालात किस तरह बदलते हैं, इस पर सभी की नज़र टिकी हुई है।