टोंक जिले में बनास नदी में नहाते समय आठ युवकों की डूबने से मौत, तीन को बचाया गया
28 Dec, 2025
Tonk, Rajasthan
टोंक, राजस्थान। टोंक जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। बनास नदी में नहाने के दौरान आठ युवकों की डूबने से मौत हो गई, जबकि तीन को स्थानीय लोगों और प्रशासन की तत्परता से बचा लिया गया। यह हादसा जिले के एक क्षेत्र में तब हुआ जब दोस्तों का समूह नदी में स्नान करने गया था। पुलिस और ग्रामीणों के अनुसार, तेज बहाव और अचानक पानी के स्तर में वृद्धि के कारण युवक बह गए।[7][9]
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। बचाव कार्य में घंटों लगा, जिसमें तीन युवकों को जीवित निकाला गया। शवों की बरामदगी के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतकों में ज्यादातर स्थानीय निवासी थे, जो छुट्टियों में नदी किनारे मजे करने आए थे। प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को तत्काल सहायता राशि घोषित की है और जांच शुरू कर दी है। जिलाधिकारी ने स्नान के लिए नदी क्षेत्रों में चेतावनी बोर्ड लगाने और गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।[9]
यह हादसा राजस्थान में बढ़ते जलस्रोतों के खतरों की याद दिलाता है। पहले भी टोंक में बिलासपुर बांध में नाव पलटने से दो लोगों के डूबने की आशंका हुई थी, जहां पांच सदस्यों को बचाया गया था।[1] मौसम विभाग के अनुसार, सर्दी की ठंड और कोहरे के बीच नदियों का जलस्तर अस्थिर रहता है, जो ऐसी दुर्घटनाओं को न्योता देता है। टोंक जिला, जो अपनी ऐतिहासिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, अब सुरक्षा उपायों पर जोर दे रहा है।[2]
इस घटना के अलावा, टोंक में डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने अरावली संरक्षण अभियान पर सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि अरावली राष्ट्रीय धरोहर है और सीएम भजनलाल शर्मा तथा केंद्र सरकार ने इसे पहले ही संरक्षित घोषित कर दिया है। कांग्रेस का 'सेव अरावली, सेव लाइफ' अभियान तेज हो गया है, जो अवैध खनन के खिलाफ 20 जिलों में कार्रवाई की मांग कर रहा है। टोंक सहित कई जिलों में प्रदर्शन हुए।[4]
टोंक रोड, जयपुर पर यूपी एंड अप लाउंज में हुकाह प्रतिबंध उल्लंघन का खुलासा भी सुर्खियों में है। 22 दिसंबर की रात स्टिंग ऑपरेशन में धुंए के गुबार के बीच नियम तोड़ते पाए गए।[5] इसके साथ ही, राज्य में रबी फसल की बुआई लक्ष्य से अधिक पूरी हुई, ठंडी लहर और कोहरा बढ़ा, तथा 108-104 एम्बुलेंस सेवा रात 12 के बाद बंद।[2]
टोंक जिले के निवासी अब नदी सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की मांग कर रहे हैं। प्रशासन ने जागरूकता अभियान शुरू किया है। यह घटना पूरे राजस्थान के लिए सबक है कि प्राकृतिक स्थलों पर सतर्कता जरूरी है। मृतकों की आत्मा को शांति मिले, यही प्रार्थना। (शब्द संख्या: ५०२)
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। बचाव कार्य में घंटों लगा, जिसमें तीन युवकों को जीवित निकाला गया। शवों की बरामदगी के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतकों में ज्यादातर स्थानीय निवासी थे, जो छुट्टियों में नदी किनारे मजे करने आए थे। प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को तत्काल सहायता राशि घोषित की है और जांच शुरू कर दी है। जिलाधिकारी ने स्नान के लिए नदी क्षेत्रों में चेतावनी बोर्ड लगाने और गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।[9]
यह हादसा राजस्थान में बढ़ते जलस्रोतों के खतरों की याद दिलाता है। पहले भी टोंक में बिलासपुर बांध में नाव पलटने से दो लोगों के डूबने की आशंका हुई थी, जहां पांच सदस्यों को बचाया गया था।[1] मौसम विभाग के अनुसार, सर्दी की ठंड और कोहरे के बीच नदियों का जलस्तर अस्थिर रहता है, जो ऐसी दुर्घटनाओं को न्योता देता है। टोंक जिला, जो अपनी ऐतिहासिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, अब सुरक्षा उपायों पर जोर दे रहा है।[2]
इस घटना के अलावा, टोंक में डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने अरावली संरक्षण अभियान पर सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि अरावली राष्ट्रीय धरोहर है और सीएम भजनलाल शर्मा तथा केंद्र सरकार ने इसे पहले ही संरक्षित घोषित कर दिया है। कांग्रेस का 'सेव अरावली, सेव लाइफ' अभियान तेज हो गया है, जो अवैध खनन के खिलाफ 20 जिलों में कार्रवाई की मांग कर रहा है। टोंक सहित कई जिलों में प्रदर्शन हुए।[4]
टोंक रोड, जयपुर पर यूपी एंड अप लाउंज में हुकाह प्रतिबंध उल्लंघन का खुलासा भी सुर्खियों में है। 22 दिसंबर की रात स्टिंग ऑपरेशन में धुंए के गुबार के बीच नियम तोड़ते पाए गए।[5] इसके साथ ही, राज्य में रबी फसल की बुआई लक्ष्य से अधिक पूरी हुई, ठंडी लहर और कोहरा बढ़ा, तथा 108-104 एम्बुलेंस सेवा रात 12 के बाद बंद।[2]
टोंक जिले के निवासी अब नदी सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की मांग कर रहे हैं। प्रशासन ने जागरूकता अभियान शुरू किया है। यह घटना पूरे राजस्थान के लिए सबक है कि प्राकृतिक स्थलों पर सतर्कता जरूरी है। मृतकों की आत्मा को शांति मिले, यही प्रार्थना। (शब्द संख्या: ५०२)