Industrial Expansion, Rain Alert and Rising Fuel Costs Shape Crucial Week for Pali, Rajasthan
28 Dec, 2025
Pali, Rajasthan
पाली ज़िले में इस हफ्ते विकास, मौसम और आमजन की जेब से जुड़ी कई अहम ख़बरें सुर्खियों में रहीं, जिनका सीधा असर स्थानीय अर्थव्यवस्था, किसानों और उद्योग जगत पर दिख रहा है। भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट के अनुसार प्रदेश के कई जिलों के साथ **पाली ज़िले के लिए भी भारी बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी** दी गई है, जिससे रबी फसलों, विशेषकर गेहूं, चने और सरसों पर जोखिम बढ़ गया है।[2] कृषि विभाग ने किसानों को नालियों की सफाई, तैयार फसल की कटाई में जल्दबाज़ी न करने और कमज़ोर ढांचे वाले खेतों से पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की सलाह दी है। साथ ही बिजली विभाग और आपदा प्रबंधन टीमों को हाई अलर्ट पर रखा गया है ताकि तेज़ हवा और बारिश से होने वाली लाइन क्षति या अन्य आपदाओं की स्थिति में तुरंत राहत मुहैया कराई जा सके।[2]
इधर ज़िले की अर्थव्यवस्था से जुड़ी बड़ी खबर **पेट्रोल के बढ़े हुए स्तर पर स्थिर दाम** को लेकर रही। पाली शहर में पेट्रोल की कीमत 105.23 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर बनी हुई है, जो पिछली संशोधन तिथि की तुलना में बिना किसी बदलाव के दर्ज की गई, लेकिन आम उपभोक्ताओं और ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि सौ रुपये के ऊपर लंबे समय से बने दाम ने मालभाड़ा, बस किराया और रोज़मर्रा की ज़रूरतों की लागत में लगातार इजाफ़ा कर रखा है।[3] शहर के टैक्सी और ऑटो चालक संगठनों ने मांग की है कि या तो राज्य सरकार वैट में कटौती करे या सार्वजनिक परिवहन के लिए विशेष डीज़ल–पेट्रोल सब्सिडी योजना पर विचार किया जाए, ताकि किराए में अचानक बढ़ोतरी से यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।[3]
उद्योग जगत के लिए इस सप्ताह का सबसे अहम विकास **जोधपुर–पाली–मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ती औद्योगिक गतिविधियों** से जुड़ा रहा। राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (रीको) की ताज़ा जानकारी के अनुसार जोधपुर–पाली–मारवाड़ इंडस्ट्रियल एरिया को नए मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसके तहत ज़िले में निवेश आकर्षित करने के लिए भू–उपयोग परिवर्तन, प्रत्यक्ष आवंटन योजना और नॉन–इंडस्ट्रियल प्लॉट्स की ई–नीलामी जैसे कदम उठाए गए हैं।[4] रीको ने हाल ही में गैर–औद्योगिक भूखंडों की ई–नीलामी तथा नई औद्योगिक इकाइयों के लिए सातवें चरण की प्रत्यक्ष आवंटन नीति की समयसीमा तय की, जिससे पाली और आसपास के इलाक़ों में छोटे–मझोले उद्योगों को नई राह मिलने की उम्मीद है।[4]
स्थानीय व्यापार मंडल का कहना है कि दिल्ली–मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से जुड़ाव और रीको की नीतियों में लचीलापन आने के बाद पाली ज़िले में टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग, केमिकल और ऑटो पार्ट्स सेक्टर में नए निवेश की संभावनाएं तेज़ हुई हैं, जिससे आने वाले सालों में रोज़गार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है।[4] हालांकि श्रम संगठनों का कहना है कि तेज़ औद्योगिकीकरण के साथ–साथ पर्यावरण संरक्षण, भूमिहीन मज़दूरों के पुनर्वास और स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर रोज़गार देने के लिए स्पष्ट नीति की ज़रूरत है, ताकि विकास के साथ सामाजिक संतुलन भी बना रहे।
ग्रामीण क्षेत्रों में, भारी बारिश के अलर्ट के बीच पंचायत स्तर पर नालों की सफ़ाई, तालाबों के जलस्तर की मॉनिटरिंग और स्कूल भवनों की सुरक्षा जांच की जा रही है।[2] शिक्षा विभाग ने बारिश और तेज़ हवा की स्थिति में स्कूलों में सुबह की प्रार्थना या ओपन एरिया गतिविधियों को सीमित रखने और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। उधर, स्वास्थ्य विभाग ने भी मौसम में बदलाव को देखते हुए सर्दी–ज़ुकाम और मौसमी बीमारियों के बढ़ते खतरे पर नज़र रखते हुए ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में दवाओं का स्टॉक बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है।
कुल मिलाकर, पाली ज़िले में इस समय एक ओर जहां आसमान से बरसने वाली चुनौतियों से किसान और ग्रामीण इलाक़े जूझने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं ज़मीन पर औद्योगिक विकास की तेज़ रफ़्तार स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए नए अवसर लेकर आ रही है। पेट्रोल की ऊंची क़ीमतें आमजन की जेब पर दबाव बनाए हुए हैं, लेकिन उद्योग और बुनियादी ढांचे में संभावित निवेश से रोज़गार और आय में इज़ाफ़े की उम्मीदें भी मज़बूत हो रही हैं। इसी संतुलन के बीच पाली आने वाले दिनों में विकास, मौसम और महंगाई की त्रिकोणीय चुनौती से जूझते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करता नज़र आ रहा है।
इधर ज़िले की अर्थव्यवस्था से जुड़ी बड़ी खबर **पेट्रोल के बढ़े हुए स्तर पर स्थिर दाम** को लेकर रही। पाली शहर में पेट्रोल की कीमत 105.23 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर बनी हुई है, जो पिछली संशोधन तिथि की तुलना में बिना किसी बदलाव के दर्ज की गई, लेकिन आम उपभोक्ताओं और ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि सौ रुपये के ऊपर लंबे समय से बने दाम ने मालभाड़ा, बस किराया और रोज़मर्रा की ज़रूरतों की लागत में लगातार इजाफ़ा कर रखा है।[3] शहर के टैक्सी और ऑटो चालक संगठनों ने मांग की है कि या तो राज्य सरकार वैट में कटौती करे या सार्वजनिक परिवहन के लिए विशेष डीज़ल–पेट्रोल सब्सिडी योजना पर विचार किया जाए, ताकि किराए में अचानक बढ़ोतरी से यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।[3]
उद्योग जगत के लिए इस सप्ताह का सबसे अहम विकास **जोधपुर–पाली–मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ती औद्योगिक गतिविधियों** से जुड़ा रहा। राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (रीको) की ताज़ा जानकारी के अनुसार जोधपुर–पाली–मारवाड़ इंडस्ट्रियल एरिया को नए मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसके तहत ज़िले में निवेश आकर्षित करने के लिए भू–उपयोग परिवर्तन, प्रत्यक्ष आवंटन योजना और नॉन–इंडस्ट्रियल प्लॉट्स की ई–नीलामी जैसे कदम उठाए गए हैं।[4] रीको ने हाल ही में गैर–औद्योगिक भूखंडों की ई–नीलामी तथा नई औद्योगिक इकाइयों के लिए सातवें चरण की प्रत्यक्ष आवंटन नीति की समयसीमा तय की, जिससे पाली और आसपास के इलाक़ों में छोटे–मझोले उद्योगों को नई राह मिलने की उम्मीद है।[4]
स्थानीय व्यापार मंडल का कहना है कि दिल्ली–मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से जुड़ाव और रीको की नीतियों में लचीलापन आने के बाद पाली ज़िले में टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग, केमिकल और ऑटो पार्ट्स सेक्टर में नए निवेश की संभावनाएं तेज़ हुई हैं, जिससे आने वाले सालों में रोज़गार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है।[4] हालांकि श्रम संगठनों का कहना है कि तेज़ औद्योगिकीकरण के साथ–साथ पर्यावरण संरक्षण, भूमिहीन मज़दूरों के पुनर्वास और स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर रोज़गार देने के लिए स्पष्ट नीति की ज़रूरत है, ताकि विकास के साथ सामाजिक संतुलन भी बना रहे।
ग्रामीण क्षेत्रों में, भारी बारिश के अलर्ट के बीच पंचायत स्तर पर नालों की सफ़ाई, तालाबों के जलस्तर की मॉनिटरिंग और स्कूल भवनों की सुरक्षा जांच की जा रही है।[2] शिक्षा विभाग ने बारिश और तेज़ हवा की स्थिति में स्कूलों में सुबह की प्रार्थना या ओपन एरिया गतिविधियों को सीमित रखने और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। उधर, स्वास्थ्य विभाग ने भी मौसम में बदलाव को देखते हुए सर्दी–ज़ुकाम और मौसमी बीमारियों के बढ़ते खतरे पर नज़र रखते हुए ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में दवाओं का स्टॉक बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है।
कुल मिलाकर, पाली ज़िले में इस समय एक ओर जहां आसमान से बरसने वाली चुनौतियों से किसान और ग्रामीण इलाक़े जूझने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं ज़मीन पर औद्योगिक विकास की तेज़ रफ़्तार स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए नए अवसर लेकर आ रही है। पेट्रोल की ऊंची क़ीमतें आमजन की जेब पर दबाव बनाए हुए हैं, लेकिन उद्योग और बुनियादी ढांचे में संभावित निवेश से रोज़गार और आय में इज़ाफ़े की उम्मीदें भी मज़बूत हो रही हैं। इसी संतुलन के बीच पाली आने वाले दिनों में विकास, मौसम और महंगाई की त्रिकोणीय चुनौती से जूझते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करता नज़र आ रहा है।