Udaipur IT Firm Gangrape Case Sparks Outrage, Dashcam Footage Becomes Key Evidence
28 Dec, 2025
Udaipur, Rajasthan
उदयपुर ज़िले में एक निजी आईटी कंपनी की **महिला मैनेजर के साथ चलती कार में गैंगरेप** के मामले ने पूरे शहर और राजस्थान पुलिस तंत्र को झकझोर दिया है। यह घटना एक निजी होटल में हुई **जन्मदिन पार्टी और न्यू ईयर बैश** के बाद लौटते समय हुई, जिसमें कंपनी का सीईओ, सीनियर महिला एक्ज़िक्यूटिव और उसका पति मुख्य आरोपित के रूप में सामने आए हैं।[1][3][4]
पुलिस के अनुसार पीड़िता एक आईटी फर्म में मैनेजर के पद पर कार्यरत है और उसे कंपनी के सीईओ **जीतेश (या जitesh) प्रकाश सिसोदिया** के जन्मदिन की पार्टी में आमंत्रित किया गया था, जो उदयपुर के शोभागपुरा क्षेत्र के एक होटल में रात तक चली। पार्टी रात लगभग 9 बजे शुरू हुई और करीब 1:30 बजे समाप्त हुई, इस दौरान शराब परोसी गई और पीड़िता की तबीयत बिगड़ने लगी।[3][4][5]
इसी बीच कंपनी की सीनियर महिला एक्ज़िक्यूटिव **शिल्पा सिरोही** और उसका पति **गौरव सिरोही**, साथ ही सीईओ ने मिलकर पीड़िता को घर छोड़ने का प्रस्ताव दिया और उसे अपनी कार में बैठाया।[3][4][5][8] रास्ते में आरोप है कि कार को रोका गया और तीनों ने एक **सिगरेट जैसी दिखने वाली वस्तु** पीड़िता को दी, जिसे लेने के बाद वह बेहोश हो गई। पुलिस शक जता रही है कि इसमें कोई नशीला पदार्थ मिलाया गया हो, जिसकी फोरेंसिक जांच कराई जा रही है।[3][4][5]
पीड़िता के बयान के मुताबिक बेहोशी की हालत में उसके साथ कार के अंदर **बारी–बारी से दुष्कर्म** किया गया।[3][5][8] जब वह अगली सुबह होश में आई तो उसे अपने शरीर, विशेषकर निजी अंगों और अन्य हिस्सों पर **गंभीर चोटों और तेज़ दर्द** का अनुभव हुआ।[2][3][8] उसने यह भी पाया कि उसकी **ज्वेलरी, मोज़े और अंतःवस्त्र** गायब थे, जिससे शक मज़बूत हुआ कि उसके साथ यौन उत्पीड़न हुआ है।[2][3][5][8]
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सबूत कार में लगी **डैशकैम रिकॉर्डिंग** बनकर सामने आया। पीड़िता ने जब बाद में कार का डैशकैम फुटेज चेक किया तो उसमें कथित तौर पर पूरी वारदात के साथ–साथ आरोपितों की बातचीत भी रिकॉर्ड पाई गई।[2][3][5] यह वीडियो क्लिप उसने पुलिस को सौंप दी, जिसे अब फोरेंसिक परीक्षण के लिए भेजा गया है और जांच एजेंसियां इसे केस की सबसे अहम कड़ी मान रही हैं।[3][5]
पुलिस ने पीड़िता की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर **सीईओ जीतेश सिसोदिया, शिल्पा सिरोही और गौरव सिरोही** तीनों को गिरफ्तार कर लिया।[1][3][4][5][8] उदयपुर के पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल के अनुसार मेडिकल जांच में पीड़िता के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान और निजी अंगों में गंभीर चोटें पाई गई हैं, जो **गैंगरेप के प्राथमिक साक्ष्य** को मज़बूत करते हैं।[1][3][8]
पुलिस सूत्रों का कहना है कि मामला दर्ज होने के बाद तीनों आरोपितों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें **पुलिस रिमांड** पर भेजा गया है ताकि डैशकैम फुटेज, पार्टी में मौजूद अन्य कर्मचारियों के बयान, होटल के सीसीटीवी फुटेज और नशीले पदार्थ की सप्लाई चेन जैसे पहलुओं की गहराई से जांच की जा सके।[1][2][3][5]
उदयपुर और आसपास के इलाकों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। स्थानीय महिला संगठनों और आईटी सेक्टर से जुड़े युवा पेशेवरों ने इसे **कार्यस्थल से जुड़े विश्वासघात और शक्ति के दुरुपयोग** का मामला बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिस तरह से डैशकैम फुटेज में कथित रूप से पूरी वारदात कैद हुई है, वह न केवल अपराध की गंभीरता दिखाता है, बल्कि यह भी उजागर करता है कि आरोपी कितने निडर हो चुके हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर फोरेंसिक जांच में डैशकैम फुटेज, नशीले पदार्थ का इस्तेमाल और मेडिकल रिपोर्ट एक–दूसरे से मेल खाती हैं, तो आरोपितों पर आईटी क्षेत्र में पद और भरोसे का दुरुपयोग, षड्यंत्र, अपहरण जैसी धाराएँ भी जोड़ी जा सकती हैं, जिससे सज़ा और कड़ी हो सकती है। इस बीच पीड़िता को काउंसलिंग और सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से विशेष इंतज़ाम किए जा रहे हैं, ताकि वह बिना किसी दबाव के अपना बयान दर्ज करा सके और न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ सके।[2][3][5][8]
पुलिस के अनुसार पीड़िता एक आईटी फर्म में मैनेजर के पद पर कार्यरत है और उसे कंपनी के सीईओ **जीतेश (या जitesh) प्रकाश सिसोदिया** के जन्मदिन की पार्टी में आमंत्रित किया गया था, जो उदयपुर के शोभागपुरा क्षेत्र के एक होटल में रात तक चली। पार्टी रात लगभग 9 बजे शुरू हुई और करीब 1:30 बजे समाप्त हुई, इस दौरान शराब परोसी गई और पीड़िता की तबीयत बिगड़ने लगी।[3][4][5]
इसी बीच कंपनी की सीनियर महिला एक्ज़िक्यूटिव **शिल्पा सिरोही** और उसका पति **गौरव सिरोही**, साथ ही सीईओ ने मिलकर पीड़िता को घर छोड़ने का प्रस्ताव दिया और उसे अपनी कार में बैठाया।[3][4][5][8] रास्ते में आरोप है कि कार को रोका गया और तीनों ने एक **सिगरेट जैसी दिखने वाली वस्तु** पीड़िता को दी, जिसे लेने के बाद वह बेहोश हो गई। पुलिस शक जता रही है कि इसमें कोई नशीला पदार्थ मिलाया गया हो, जिसकी फोरेंसिक जांच कराई जा रही है।[3][4][5]
पीड़िता के बयान के मुताबिक बेहोशी की हालत में उसके साथ कार के अंदर **बारी–बारी से दुष्कर्म** किया गया।[3][5][8] जब वह अगली सुबह होश में आई तो उसे अपने शरीर, विशेषकर निजी अंगों और अन्य हिस्सों पर **गंभीर चोटों और तेज़ दर्द** का अनुभव हुआ।[2][3][8] उसने यह भी पाया कि उसकी **ज्वेलरी, मोज़े और अंतःवस्त्र** गायब थे, जिससे शक मज़बूत हुआ कि उसके साथ यौन उत्पीड़न हुआ है।[2][3][5][8]
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सबूत कार में लगी **डैशकैम रिकॉर्डिंग** बनकर सामने आया। पीड़िता ने जब बाद में कार का डैशकैम फुटेज चेक किया तो उसमें कथित तौर पर पूरी वारदात के साथ–साथ आरोपितों की बातचीत भी रिकॉर्ड पाई गई।[2][3][5] यह वीडियो क्लिप उसने पुलिस को सौंप दी, जिसे अब फोरेंसिक परीक्षण के लिए भेजा गया है और जांच एजेंसियां इसे केस की सबसे अहम कड़ी मान रही हैं।[3][5]
पुलिस ने पीड़िता की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर **सीईओ जीतेश सिसोदिया, शिल्पा सिरोही और गौरव सिरोही** तीनों को गिरफ्तार कर लिया।[1][3][4][5][8] उदयपुर के पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल के अनुसार मेडिकल जांच में पीड़िता के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान और निजी अंगों में गंभीर चोटें पाई गई हैं, जो **गैंगरेप के प्राथमिक साक्ष्य** को मज़बूत करते हैं।[1][3][8]
पुलिस सूत्रों का कहना है कि मामला दर्ज होने के बाद तीनों आरोपितों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें **पुलिस रिमांड** पर भेजा गया है ताकि डैशकैम फुटेज, पार्टी में मौजूद अन्य कर्मचारियों के बयान, होटल के सीसीटीवी फुटेज और नशीले पदार्थ की सप्लाई चेन जैसे पहलुओं की गहराई से जांच की जा सके।[1][2][3][5]
उदयपुर और आसपास के इलाकों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। स्थानीय महिला संगठनों और आईटी सेक्टर से जुड़े युवा पेशेवरों ने इसे **कार्यस्थल से जुड़े विश्वासघात और शक्ति के दुरुपयोग** का मामला बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिस तरह से डैशकैम फुटेज में कथित रूप से पूरी वारदात कैद हुई है, वह न केवल अपराध की गंभीरता दिखाता है, बल्कि यह भी उजागर करता है कि आरोपी कितने निडर हो चुके हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर फोरेंसिक जांच में डैशकैम फुटेज, नशीले पदार्थ का इस्तेमाल और मेडिकल रिपोर्ट एक–दूसरे से मेल खाती हैं, तो आरोपितों पर आईटी क्षेत्र में पद और भरोसे का दुरुपयोग, षड्यंत्र, अपहरण जैसी धाराएँ भी जोड़ी जा सकती हैं, जिससे सज़ा और कड़ी हो सकती है। इस बीच पीड़िता को काउंसलिंग और सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से विशेष इंतज़ाम किए जा रहे हैं, ताकि वह बिना किसी दबाव के अपना बयान दर्ज करा सके और न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ सके।[2][3][5][8]