**Sikar में कड़ाके की ठंड, तापमान 3.5 डिग्री तक गिरा; अरावली खनन विवाद ने बढ़ाई चिंता**
29 Dec, 2025
Sikar, Rajasthan
सीकर जिले में इन दिनों कड़ाके की ठंड का प्रकोप जारी है। राजस्थान के मौसम विभाग के अनुसार, बीती रात सीकर का न्यूनतम तापमान 3.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 1.9 डिग्री कम है। फतेहपुर शहर में तो तापमान 2.1 डिग्री तक लुढ़क गया, जबकि कृषि अनुसंधान केंद्र पर 1.0 डिग्री सेल्सियस मापा गया। खेतों और खलिहानों में ओस की बूंदें जमकर बर्फ की चादर बन गईं, जिससे सुबह-सुबह ठंड और तीव्र हो गई। तेज हवाओं ने ठंड को और असहनीय बना दिया है। मौसम विभाग ने 28 और 29 दिसंबर के लिए सीकर, झुंझुनू, चूरू, अलवर और डीडवाना-कुचामन में शीतलहर की पीली चेतावनी जारी की है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में तापमान में और गिरावट हो सकती है, इसलिए ग्रामीणों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। लोग अलाव जलाकर और गर्म कपड़ों का सहारा ले रहे हैं, लेकिन फिर भी ठंड से कांप रहे हैं।[2]
इसके अलावा, अरावली पर्वतमाला को लेकर सीकर सहित राजस्थान के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर 2025 को आदेश जारी कर अरावली पहाड़ियों की परिभाषा तय की, जिसमें केवल 100 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई वाली भूमि को ही अरावली हिल्स माना जाएगा। पर्यावरणविदों का आरोप है कि इससे अरावली श्रृंखला के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। सीकर, अलवर, उदयपुर और जोधपुर में प्रदर्शनकारियों ने खनन गतिविधियों की मंजूरी वापस लेने की मांग की है। वे चेतावनी दे रहे हैं कि आंदोलन और तेज होगा। मुख्यमंत्री भजन लाल शarma ने कांग्रेस पर प hypocrisy का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार अरावली की पारिस्थितिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व की पूरी तरह प्रतिबद्ध है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने 'एक पत्ती अलवर के नाम' पत्र में स्पष्ट किया कि अरावली पूरी तरह सुरक्षित है और सुप्रीम कोर्ट का फैसला पर्यावरण संरक्षण, अवैध खनन रोकने और विकास की जरूरतों के बीच संतुलन बनाकर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 29 दिसंबर को अरावली मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई तय की है। सीकर के सरिस्का टाइगर रिजर्व और सिलीसेह झील जैसे महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा पर जोर दिया गया है।[3][4]
ये मुद्दे सीकर में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। शीतलहर के कारण स्कूलों में छुट्टियां बढ़ाने की मांग उठ रही है, हालांकि अभी कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया। जिले में सर्दी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं, खासकर बुजुर्गों और बच्चों में। प्रशासन ने अस्पतालों में विशेष व्यवस्था की है। अरावली विवाद से स्थानीय किसान और पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं, क्योंकि खनन से जलस्तर गिरने और वन्यजीवों को खतरा हो सकता है। विरोध में कई संगठन सड़कों पर उतर आए हैं। मौसम विभाग की चेतावनी के मुताबिक, अगले दो दिनों तक सतर्क रहने की जरूरत है। सीकर के निवासी इन चुनौतियों से जूझ रहे हैं, लेकिन सामुदायिक सहयोग से स्थिति संभालने का प्रयास कर रहे हैं। कुल मिलाकर, ठंड और पर्यावरणीय विवाद ने जिले को सुर्खियों में ला दिया है। (शब्द संख्या: 498)
इसके अलावा, अरावली पर्वतमाला को लेकर सीकर सहित राजस्थान के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर 2025 को आदेश जारी कर अरावली पहाड़ियों की परिभाषा तय की, जिसमें केवल 100 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई वाली भूमि को ही अरावली हिल्स माना जाएगा। पर्यावरणविदों का आरोप है कि इससे अरावली श्रृंखला के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। सीकर, अलवर, उदयपुर और जोधपुर में प्रदर्शनकारियों ने खनन गतिविधियों की मंजूरी वापस लेने की मांग की है। वे चेतावनी दे रहे हैं कि आंदोलन और तेज होगा। मुख्यमंत्री भजन लाल शarma ने कांग्रेस पर प hypocrisy का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार अरावली की पारिस्थितिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व की पूरी तरह प्रतिबद्ध है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने 'एक पत्ती अलवर के नाम' पत्र में स्पष्ट किया कि अरावली पूरी तरह सुरक्षित है और सुप्रीम कोर्ट का फैसला पर्यावरण संरक्षण, अवैध खनन रोकने और विकास की जरूरतों के बीच संतुलन बनाकर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 29 दिसंबर को अरावली मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई तय की है। सीकर के सरिस्का टाइगर रिजर्व और सिलीसेह झील जैसे महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा पर जोर दिया गया है।[3][4]
ये मुद्दे सीकर में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। शीतलहर के कारण स्कूलों में छुट्टियां बढ़ाने की मांग उठ रही है, हालांकि अभी कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया। जिले में सर्दी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं, खासकर बुजुर्गों और बच्चों में। प्रशासन ने अस्पतालों में विशेष व्यवस्था की है। अरावली विवाद से स्थानीय किसान और पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं, क्योंकि खनन से जलस्तर गिरने और वन्यजीवों को खतरा हो सकता है। विरोध में कई संगठन सड़कों पर उतर आए हैं। मौसम विभाग की चेतावनी के मुताबिक, अगले दो दिनों तक सतर्क रहने की जरूरत है। सीकर के निवासी इन चुनौतियों से जूझ रहे हैं, लेकिन सामुदायिक सहयोग से स्थिति संभालने का प्रयास कर रहे हैं। कुल मिलाकर, ठंड और पर्यावरणीय विवाद ने जिले को सुर्खियों में ला दिया है। (शब्द संख्या: 498)