Shahpura में जिला статус बहाली की मांग को लेकर मुस्लिम समुदाय का आक्रोश मार्च, भजनलाल सरकार के फैसले के खिलाफ नारे
29 Dec, 2025
Shahpura, Rajasthan
शाहपुरा, राजस्थान। भाजपा सरकार के 28 दिसंबर 2024 को लिए गए फैसले के खिलाफ शाहपुरा में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं, जिसमें नौ कांग्रेस निर्मित जिलों का दर्जा समाप्त कर दिया गया। इनमें शाहपुरा भी शामिल है। राज्य सरकार ने कहा कि ये जिले न तो जनहित में थे और न ही व्यावहारिक, लेकिन स्थानीय निवासियों ने इसे अपनी पहचान पर हमला माना है। मंगलवार को काजी सैयद शराफत अली के नेतृत्व में मुस्लिम समुदाय ने 'आक्रोश रैली' निकाली, जो फुलिया गेट से शुरू होकर उपखंड कार्यालय तक पहुंची। रैली बालाजी की छतरी, सदर बाजार और त्रिमूर्ति चौराहा होते हुए गुजरी।[1]
रैली में विधायक लालाराम बेवड़ा और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के खिलाफ नारे लगाए गए। जिला बचाओ संघर्ष समिति ने भी इसमें शिरकत की। इससे पहले प्रॉपर्टी डीलर एसोसिएशन ने उपखंड कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल की, जिसका नेतृत्व अध्यक्ष राजेंद्र बोहरा ने किया। संघर्ष समिति अध्यक्ष दुर्गा लाल राजोरा और संयोजक रामप्रसाद जाट भी मौजूद थे। प्रदर्शनकारियों ने बरहठ स्मारक पर माल्यार्पण कर शाहपुरा को जिला बनाने की मांग दोहराई। बार एसोसिएशन के सदस्य, पार्षद और प्रॉपर्टी डीलर शामिल हुए। संघर्ष समिति महासचिव कमलेश मुंडेटिया ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण जारी रहेगा जब तक जिला статус वापस नहीं मिलता।[1]
यह फैसला कैबिनेट बैठक में लिया गया, जिसमें तीन अतिरिक्त संभाग भी भंग कर दिए गए। अब राजस्थान में सात संभाग और 41 जिले होंगे। अन्य प्रभावित जिलों जैसे अनूपगढ़, नीम का थाना, संचोर में भी विरोध हो रहा है। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक बताया है। पूर्व मंत्री सुखराम विश्नोई ने संचोर कलेक्ट्रेट पर महापड़ाव किया। शाहपुरा के निवासियों का कहना है कि जिला बनने से प्रशासनिक सुविधाएं बढ़ी थीं, जैसे त्वरित सेवाएं, रोजगार और विकास। प्रॉपर्टी डीलरों का मानना है कि इससे बाजार प्रभावित हुआ है।[1]
हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शाहपुरा पहुंचे थे, जहां उन्होंने विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और महाराणा प्रताप तथा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमाओं का अनावरण किया। त्रिमूर्ति सर्कल पर केसरी सिंह बरहठ, जोरावर सिंह बरहठ और प्रताप सिंह बरहठ की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि दी। शाहपुरा कॉलेज ग्राउंड पर सभा में उन्होंने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार और झूठ का आरोप लगाया। कहा कि उनकी सरकार ने 45,000 युवाओं को नौकरी दी और 85,000 की भर्ती घोषित की। पीएम मोदी के 'चार वर्ण' वाले बयान का जिक्र किया- युवा, महिला, किसान, मजदूर। विधायक लालाराम बेरवा के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में कानून मंत्री जोगाराम पटेल, जिला प्रभारी मंत्री मंजू बघमार आदि उपस्थित थे।[2]
शाहपुरा में जिला बहाली की मांग अब व्यापक रूप ले रही है। स्थानीय व्यापारी, किसान और सामाजिक संगठन एकजुट हो रहे हैं। सरकार का कहना है कि ये जिले अनावश्यक थे, लेकिन विरोधियों का तर्क है कि इससे ग्रामीण विकास रुकेगा। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज होगा। शाहपुरा की जनता अपनी अलग पहचान बचाने के लिए संघर्षरत है। (शब्द संख्या: 498)
रैली में विधायक लालाराम बेवड़ा और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के खिलाफ नारे लगाए गए। जिला बचाओ संघर्ष समिति ने भी इसमें शिरकत की। इससे पहले प्रॉपर्टी डीलर एसोसिएशन ने उपखंड कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल की, जिसका नेतृत्व अध्यक्ष राजेंद्र बोहरा ने किया। संघर्ष समिति अध्यक्ष दुर्गा लाल राजोरा और संयोजक रामप्रसाद जाट भी मौजूद थे। प्रदर्शनकारियों ने बरहठ स्मारक पर माल्यार्पण कर शाहपुरा को जिला बनाने की मांग दोहराई। बार एसोसिएशन के सदस्य, पार्षद और प्रॉपर्टी डीलर शामिल हुए। संघर्ष समिति महासचिव कमलेश मुंडेटिया ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण जारी रहेगा जब तक जिला статус वापस नहीं मिलता।[1]
यह फैसला कैबिनेट बैठक में लिया गया, जिसमें तीन अतिरिक्त संभाग भी भंग कर दिए गए। अब राजस्थान में सात संभाग और 41 जिले होंगे। अन्य प्रभावित जिलों जैसे अनूपगढ़, नीम का थाना, संचोर में भी विरोध हो रहा है। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक बताया है। पूर्व मंत्री सुखराम विश्नोई ने संचोर कलेक्ट्रेट पर महापड़ाव किया। शाहपुरा के निवासियों का कहना है कि जिला बनने से प्रशासनिक सुविधाएं बढ़ी थीं, जैसे त्वरित सेवाएं, रोजगार और विकास। प्रॉपर्टी डीलरों का मानना है कि इससे बाजार प्रभावित हुआ है।[1]
हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शाहपुरा पहुंचे थे, जहां उन्होंने विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और महाराणा प्रताप तथा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमाओं का अनावरण किया। त्रिमूर्ति सर्कल पर केसरी सिंह बरहठ, जोरावर सिंह बरहठ और प्रताप सिंह बरहठ की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि दी। शाहपुरा कॉलेज ग्राउंड पर सभा में उन्होंने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार और झूठ का आरोप लगाया। कहा कि उनकी सरकार ने 45,000 युवाओं को नौकरी दी और 85,000 की भर्ती घोषित की। पीएम मोदी के 'चार वर्ण' वाले बयान का जिक्र किया- युवा, महिला, किसान, मजदूर। विधायक लालाराम बेरवा के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में कानून मंत्री जोगाराम पटेल, जिला प्रभारी मंत्री मंजू बघमार आदि उपस्थित थे।[2]
शाहपुरा में जिला बहाली की मांग अब व्यापक रूप ले रही है। स्थानीय व्यापारी, किसान और सामाजिक संगठन एकजुट हो रहे हैं। सरकार का कहना है कि ये जिले अनावश्यक थे, लेकिन विरोधियों का तर्क है कि इससे ग्रामीण विकास रुकेगा। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज होगा। शाहपुरा की जनता अपनी अलग पहचान बचाने के लिए संघर्षरत है। (शब्द संख्या: 498)