Rajasthan Defence Bribery Row and School Santa Directive Put Sri Ganganagar in Spotlight
28 Dec, 2025
Ganganagar, Rajasthan
श्रीगंगानगर ज़िले में बीते कुछ दिनों के घटनाक्रमों ने जिले को प्रदेश और राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के रिश्वत प्रकरण में नाम सामने आने और शिक्षा विभाग द्वारा क्रिसमस पर स्कूली बच्चों की पोशाक को लेकर जारी सख्त निर्देशों ने स्थानीय स्तर पर व्यापक बहस छेड़ दी है। इन मुद्दों को लेकर आम नागरिकों से लेकर सामाजिक संगठनों तक में चिंता और चर्चा का दौर जारी है।[6][7]
सबसे बड़ी खबर श्रीगंगानगर में तैनात सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले से जुड़ी है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कोर कमांड स्तर से प्राप्त शिकायत के आधार पर सीबीआई ने एक सैन्य अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद मामले की जांच तेज कर दी है। रक्षा मंत्रालय ने इस प्रकरण पर बयान जारी करते हुए साफ किया है कि भ्रष्टाचार के प्रति *ज़ीरो टॉलरेंस* की नीति अपनाई जाएगी और दोषी पाए जाने पर किसी भी स्तर पर रियायत नहीं दी जाएगी।[5][6] रक्षा मंत्रालय ने यह भी रेखांकित किया कि शिकायत खुद सेना तंत्र से आई, जिसे वह अपनी *प्रोएक्टिव* यानी पहल करने वाली रवैये का उदाहरण मान रहा है।[6]
खबरों के मुताबिक, जिस कर्नल स्तर के अधिकारी का नाम एफआईआर में दर्ज है, वह फिलहाल श्रीगंगानगर में स्थित 16 इन्फेंट्री डिवीजन ऑर्डनेंस यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर तैनात हैं।[6] आरोप है कि सप्लाई और कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े मामलों में आर्थिक लेन-देन के बदले पक्षपातपूर्ण निर्णय लिए गए। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए स्थानीय स्तर पर सेना परिसर के आसपास सुरक्षा और निगरानी बढ़ा दी गई है, हालांकि आधिकारिक तौर पर किसी अतिरिक्त बंदोबस्त की पुष्टि नहीं की गई है। प्रारंभिक जानकारी के बाद अब जांच एजेंसियां दस्तावेज, टेंडर रिकॉर्ड और संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ पर फोकस कर रही हैं।[5][6]
भ्रष्टाचार के इस प्रकरण ने सीमावर्ती और सैन्य रूप से महत्वपूर्ण माने जाने वाले श्रीगंगानगर की साख को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीमांत जिलों में तैनात अधिकारियों से उच्च स्तर की ईमानदारी और पारदर्शिता की अपेक्षा की जाती है, ऐसे में इस तरह के मामले विश्वास को झटका देते हैं। स्थानीय व्यापार मंडल से जुड़े कुछ लोगों ने मांग की है कि जांच पूरी तरह पारदर्शी तरीके से हो, ताकि ईमानदार अधिकारियों की छवि पर भी अनावश्यक दाग न लगे।
दूसरी ओर, शिक्षा से जुड़ी एक बड़ी स्थानीय खबर ने भी श्रीगंगानगर को सुर्खियों में ला दिया है। जिले के शिक्षा विभाग ने क्रिसमस के अवसर पर होने वाले कार्यक्रमों में बच्चों को ज़बरदस्ती सांता क्लॉज़ की वेशभूषा पहनाने पर रोक संबंधी कड़ा निर्देश जारी किया है।[7] आदेश के अनुसार, किसी भी सरकारी या निजी स्कूल में छात्रों को किसी खास धार्मिक प्रतीक या पोशाक में तैयार होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यह स्पष्ट किया गया है कि विद्यालय केवल स्वैच्छिक भागीदारी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से उत्सव मना सकते हैं, लेकिन किसी छात्र पर दबाव नहीं बनाया जाएगा।[7]
इस निर्देश के पीछे तर्क दिया गया है कि स्कूलों में धार्मिक तटस्थता और संवैधानिक मूल्यों का पालन अनिवार्य है। जिला शिक्षा अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी अभिभावक या छात्र को जबरन पोशाक बदलने या किसी विशेष धार्मिक गतिविधि में शामिल होने के लिए बाध्य करने की शिकायत मिलती है तो संबंधित संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।[7] कुछ अभिभावक संगठनों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे बच्चों पर अनावश्यक दबाव कम होगा और सभी समुदायों की भावनाओं का संतुलन बना रहेगा, वहीं कुछ लोग इसे परंपरागत उत्सवों पर अनावश्यक रोक मानते हुए आपत्ति भी जता रहे हैं।
श्रीगंगानगर जैसी बहु-सांस्कृतिक और सीमावर्ती पहचान वाले ज़िले में इन दोनों खबरों ने शासन, सुरक्षा और शिक्षा—तीनों स्तरों पर जवाबदेही की चर्चा को तेज कर दिया है। एक ओर सेना से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप पारदर्शिता की मांग बढ़ा रहे हैं, तो दूसरी ओर स्कूलों में धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल पर बहस शिक्षा व्यवस्था की दिशा और चरित्र को लेकर नए सवाल खड़े कर रही है। आने वाले दिनों में जांच और प्रशासनिक कार्रवाइयों के आधार पर स्थिति और स्पष्ट होने की उम्मीद की जा रही है।[5][6][7]
सबसे बड़ी खबर श्रीगंगानगर में तैनात सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले से जुड़ी है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कोर कमांड स्तर से प्राप्त शिकायत के आधार पर सीबीआई ने एक सैन्य अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद मामले की जांच तेज कर दी है। रक्षा मंत्रालय ने इस प्रकरण पर बयान जारी करते हुए साफ किया है कि भ्रष्टाचार के प्रति *ज़ीरो टॉलरेंस* की नीति अपनाई जाएगी और दोषी पाए जाने पर किसी भी स्तर पर रियायत नहीं दी जाएगी।[5][6] रक्षा मंत्रालय ने यह भी रेखांकित किया कि शिकायत खुद सेना तंत्र से आई, जिसे वह अपनी *प्रोएक्टिव* यानी पहल करने वाली रवैये का उदाहरण मान रहा है।[6]
खबरों के मुताबिक, जिस कर्नल स्तर के अधिकारी का नाम एफआईआर में दर्ज है, वह फिलहाल श्रीगंगानगर में स्थित 16 इन्फेंट्री डिवीजन ऑर्डनेंस यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर तैनात हैं।[6] आरोप है कि सप्लाई और कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े मामलों में आर्थिक लेन-देन के बदले पक्षपातपूर्ण निर्णय लिए गए। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए स्थानीय स्तर पर सेना परिसर के आसपास सुरक्षा और निगरानी बढ़ा दी गई है, हालांकि आधिकारिक तौर पर किसी अतिरिक्त बंदोबस्त की पुष्टि नहीं की गई है। प्रारंभिक जानकारी के बाद अब जांच एजेंसियां दस्तावेज, टेंडर रिकॉर्ड और संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ पर फोकस कर रही हैं।[5][6]
भ्रष्टाचार के इस प्रकरण ने सीमावर्ती और सैन्य रूप से महत्वपूर्ण माने जाने वाले श्रीगंगानगर की साख को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीमांत जिलों में तैनात अधिकारियों से उच्च स्तर की ईमानदारी और पारदर्शिता की अपेक्षा की जाती है, ऐसे में इस तरह के मामले विश्वास को झटका देते हैं। स्थानीय व्यापार मंडल से जुड़े कुछ लोगों ने मांग की है कि जांच पूरी तरह पारदर्शी तरीके से हो, ताकि ईमानदार अधिकारियों की छवि पर भी अनावश्यक दाग न लगे।
दूसरी ओर, शिक्षा से जुड़ी एक बड़ी स्थानीय खबर ने भी श्रीगंगानगर को सुर्खियों में ला दिया है। जिले के शिक्षा विभाग ने क्रिसमस के अवसर पर होने वाले कार्यक्रमों में बच्चों को ज़बरदस्ती सांता क्लॉज़ की वेशभूषा पहनाने पर रोक संबंधी कड़ा निर्देश जारी किया है।[7] आदेश के अनुसार, किसी भी सरकारी या निजी स्कूल में छात्रों को किसी खास धार्मिक प्रतीक या पोशाक में तैयार होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यह स्पष्ट किया गया है कि विद्यालय केवल स्वैच्छिक भागीदारी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से उत्सव मना सकते हैं, लेकिन किसी छात्र पर दबाव नहीं बनाया जाएगा।[7]
इस निर्देश के पीछे तर्क दिया गया है कि स्कूलों में धार्मिक तटस्थता और संवैधानिक मूल्यों का पालन अनिवार्य है। जिला शिक्षा अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी अभिभावक या छात्र को जबरन पोशाक बदलने या किसी विशेष धार्मिक गतिविधि में शामिल होने के लिए बाध्य करने की शिकायत मिलती है तो संबंधित संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।[7] कुछ अभिभावक संगठनों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे बच्चों पर अनावश्यक दबाव कम होगा और सभी समुदायों की भावनाओं का संतुलन बना रहेगा, वहीं कुछ लोग इसे परंपरागत उत्सवों पर अनावश्यक रोक मानते हुए आपत्ति भी जता रहे हैं।
श्रीगंगानगर जैसी बहु-सांस्कृतिक और सीमावर्ती पहचान वाले ज़िले में इन दोनों खबरों ने शासन, सुरक्षा और शिक्षा—तीनों स्तरों पर जवाबदेही की चर्चा को तेज कर दिया है। एक ओर सेना से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप पारदर्शिता की मांग बढ़ा रहे हैं, तो दूसरी ओर स्कूलों में धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल पर बहस शिक्षा व्यवस्था की दिशा और चरित्र को लेकर नए सवाल खड़े कर रही है। आने वाले दिनों में जांच और प्रशासनिक कार्रवाइयों के आधार पर स्थिति और स्पष्ट होने की उम्मीद की जा रही है।[5][6][7]