Neem Ka Thana Protests Intensify Over District Status Demand
28 Dec, 2025
Neem Ka Thana, Rajasthan
नीम का थाना जिले में आजकल सबसे बड़ा मुद्दा नीमकाथाना को फिर से जिला बनाने और सीकर को संभाग का दर्जा दिलाने की मांग है। राज्य सरकार द्वारा एक साल पहले नीमकाथाना जिले को निरस्त करने के फैसले के खिलाफ स्थानीय जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है। युवाओं ने नीमकाथाना जिला अस्पताल के सामने टायर जलाकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पंचायत समिति सदस्य भूपेंद्र सिंह ने स्पष्ट कहा कि 28 दिसंबर को नीमकाथाना की पूरी जनता काला दिवस मनाएगी। इस दिन शहर के सभी बाजार पूरी तरह बंद रहेंगे और खेतड़ी मोड़ पर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन होगा। व्यापारिक संगठनों सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों ने बंद का पूर्ण समर्थन दिया है।[1][5]
पूर्व जिला परिषद सदस्य प्रवीण जाखड़ ने बताया कि सरकार ने ठीक एक साल पूर्व नीमकाथाना को जिला बनाने का फैसला उलट दिया था, जो स्थानीय लोगों के लिए बड़ा धोखा है। उन्होंने चेतावनी दी कि नीमकाथाना से सरकार को सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है। यदि जिला बहाल नहीं किया गया तो यह राजस्व पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। शशिपाल भाकर ने कहा, "जिला बहाल करना पड़ेगा, जनता जाग चुकी है।" प्रदर्शन में महेंद्र बिरजानिया, बसंत यादव, राजपाल डोई, उमेश दिवाच समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए। संघर्ष समिति ने खेतड़ी सर्किल मोड़ पर 28 दिसंबर को विशाल धरना देने का ऐलान किया है।[1][5]
नीमकाथाना के निवासियों का कहना है कि जिला बनने से प्रशासनिक सुविधाएं बढ़ी थीं, लेकिन निरस्तीकरण के बाद विकास ठप हो गया है। अस्पताल, पुलिस थाने और अन्य सेवाओं के लिए सीकर पर निर्भरता बढ़ गई, जो असुविधाजनक है। स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि बाजार बंद से आर्थिक नुकसान तो होगा, लेकिन यह संघर्ष लंबे समय के हित में जरूरी है। पंचायत समिति सदस्य भूपेंद्र सिंह ने संगठनों से अपील की कि काला दिवस में सभी सक्रिय भागीदारी करें।[1]
इसके अलावा, नीम का थाना में हाल ही में राजस्थान–हमारा राजस्थान रथ यात्रा पहुंची, जो छावनी क्षेत्र में लोगों का उत्साह बढ़ा रही है। रामलीला मैदान में बंगाल में हिंदू युवक की हत्या के मुद्दे पर चर्चा हुई। हालांकि, मुख्य फोकस जिला बहाली पर ही बना हुआ है। अरावली क्षेत्र में खनन पट्टों पर केंद्र सरकार की रोक को स्थानीय लोग सकारात्मक मान रहे हैं, लेकिन नीमकाथाना ब्लॉक में इससे संबंधित चर्चाएं चल रही हैं।[2][4]
नीमकाथाना की जनता का यह आंदोलन तेज होता जा रहा है। सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि जल्द ही फैसला ले। यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और उग्र रूप धारण कर सकता है। स्थानीय नेताओं ने कहा कि यह केवल प्रशासनिक मांग नहीं, बल्कि क्षेत्र के विकास का सवाल है। हजारों लोग 28 दिसंबर को सड़कों पर उतरेंगे। (शब्द संख्या: ५०२)
पूर्व जिला परिषद सदस्य प्रवीण जाखड़ ने बताया कि सरकार ने ठीक एक साल पूर्व नीमकाथाना को जिला बनाने का फैसला उलट दिया था, जो स्थानीय लोगों के लिए बड़ा धोखा है। उन्होंने चेतावनी दी कि नीमकाथाना से सरकार को सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है। यदि जिला बहाल नहीं किया गया तो यह राजस्व पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। शशिपाल भाकर ने कहा, "जिला बहाल करना पड़ेगा, जनता जाग चुकी है।" प्रदर्शन में महेंद्र बिरजानिया, बसंत यादव, राजपाल डोई, उमेश दिवाच समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए। संघर्ष समिति ने खेतड़ी सर्किल मोड़ पर 28 दिसंबर को विशाल धरना देने का ऐलान किया है।[1][5]
नीमकाथाना के निवासियों का कहना है कि जिला बनने से प्रशासनिक सुविधाएं बढ़ी थीं, लेकिन निरस्तीकरण के बाद विकास ठप हो गया है। अस्पताल, पुलिस थाने और अन्य सेवाओं के लिए सीकर पर निर्भरता बढ़ गई, जो असुविधाजनक है। स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि बाजार बंद से आर्थिक नुकसान तो होगा, लेकिन यह संघर्ष लंबे समय के हित में जरूरी है। पंचायत समिति सदस्य भूपेंद्र सिंह ने संगठनों से अपील की कि काला दिवस में सभी सक्रिय भागीदारी करें।[1]
इसके अलावा, नीम का थाना में हाल ही में राजस्थान–हमारा राजस्थान रथ यात्रा पहुंची, जो छावनी क्षेत्र में लोगों का उत्साह बढ़ा रही है। रामलीला मैदान में बंगाल में हिंदू युवक की हत्या के मुद्दे पर चर्चा हुई। हालांकि, मुख्य फोकस जिला बहाली पर ही बना हुआ है। अरावली क्षेत्र में खनन पट्टों पर केंद्र सरकार की रोक को स्थानीय लोग सकारात्मक मान रहे हैं, लेकिन नीमकाथाना ब्लॉक में इससे संबंधित चर्चाएं चल रही हैं।[2][4]
नीमकाथाना की जनता का यह आंदोलन तेज होता जा रहा है। सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि जल्द ही फैसला ले। यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और उग्र रूप धारण कर सकता है। स्थानीय नेताओं ने कहा कि यह केवल प्रशासनिक मांग नहीं, बल्कि क्षेत्र के विकास का सवाल है। हजारों लोग 28 दिसंबर को सड़कों पर उतरेंगे। (शब्द संख्या: ५०२)