Tension in Jhunjhunu After Contract Killing Bid on Woman Doctor, Police Tighten Security and Launch Wider Crackdown
28 Dec, 2025
Jhunjhunu, Rajasthan
झुंझुनूं जिले में रिश्तों की दरार से उपजा एक सनसनीखेज आपराधिक मामला इन दिनों स्थानीय चर्चा और चिंता का बड़ा विषय बना हुआ है। शहर में तैनात एक महिला डॉक्टर पर कांट्रैक्ट किलिंग की साजिश सामने आने के बाद पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी है और पूरे इलाके में अपराधी नेटवर्क पर शिकंजा कसने के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है। शुरुआती जांच में खुलासा हुआ कि डॉक्टर के पति के कथित अवैध संबंध से आहत पत्नी ने ही सुपारी किलरों को हत्या के लिए मोटी रकम देने का सौदा किया था, लेकिन समय पर मिली सूचना और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से महिला डॉक्टर की जान बच गई।[2]
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी पत्नी ने तकरीबन पंद्रह लाख रुपये में दो शूटरों से सौदा तय किया था।[2] योजना के अनुसार, डॉक्टर की दिनचर्या और क्लिनिक से घर तक के रूट की कई दिनों तक रेकी की गई। बताया जा रहा है कि महिला डॉक्टर अक्सर देर रात ड्यूटी से लौटती थीं, जिसका फायदा उठाते हुए सुनसान जगह पर हमला करने की तैयारी थी। लेकिन एक आरोपी के मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल्स की निगरानी के दौरान संदिग्ध गतिविधि सामने आई, जिससे पुलिस को साजिश का सुराग मिल गया।[2]
जांच टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर संदिग्धों पर निगरानी बढ़ाई और कथित शूटरों से मिली डिजिटल चैट, बैंकिंग लेनदेन और सीसीटीवी फुटेज के सहारे पूरे नेटवर्क की कड़ियां जोड़नी शुरू कीं।[2] जैसे ही योजना अमल के करीब पहुंची, पुलिस ने तत्काल छापेमारी कर दोनों संदिग्धों को हिरासत में ले लिया और बाद में पूछताछ में पत्नी की संलिप्तता का खुलासा हुआ। फिलहाल मुख्य आरोपी महिला को भी गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, जबकि पुलिस यह जांचने में जुटी है कि क्या इस गिरोह के तार अन्य जिलों से भी जुड़े हैं।
घटना के सामने आने के बाद झुंझुनूं शहर के मेडिकल समुदाय और आम नागरिकों में गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है। डॉक्टर्स एसोसिएशन ने जिला कलेक्टर और एसपी से मुलाकात कर चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। संगठनों का कहना है कि यदि पढ़े-लिखे परिवारों में भी आपसी अविश्वास और वैवाहिक तनाव इतने गंभीर आपराधिक रूप ले रहे हैं, तो यह समाज के लिए खतरनाक संकेत है। वे चाहते हैं कि अदालत इस मामले में सख्त संदेश दे, ताकि कोई भी वैवाहिक विवाद को हिंसा और अपराध का रास्ता देने की हिम्मत न कर सके।
पुलिस प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि महत्वपूर्ण सरकारी अस्पतालों, निजी नर्सिंग होम्स और देर रात तक खुले रहने वाले क्लिनिकों के आसपास गश्त बढ़ाई जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, इस केस ने दिखाया है कि डिजिटल साक्ष्य, सीसीटीवी नेटवर्क और त्वरित इंटेलिजेंस इनपुट की मदद से संगठित आपराधिक साजिशों को शुरुआती स्तर पर ही ध्वस्त किया जा सकता है। पुलिस अब इस प्रकरण को एक केस स्टडी की तरह लेकर अपने साइबर और इंटेलिजेंस यूनिट की ट्रेनिंग में शामिल करने की तैयारी कर रही है, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों से और भी कुशलता से निपटा जा सके।
सामाजिक स्तर पर स्थानीय काउंसलर्स और महिला संगठनों ने इस मामले को वैवाहिक संवाद, काउंसलिंग और कानूनी मदद की कमी से भी जोड़ा है। उनका मानना है कि अगर विवाद की शुरुआती अवस्था में ही दोनों पक्षों को पेशेवर मनोवैज्ञानिक और कानूनी सलाह मिलती, तो मामला इतनी भयावह दिशा में नहीं जाता। कई सामाजिक कार्यकर्ता इसे उस बड़ी प्रवृत्ति का हिस्सा बता रहे हैं जिसमें व्यक्तिगत रिश्तों की टूटन सीधे हिंसा और अपराध की ओर मुड़ने लगी है। वे जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि परिवार परामर्श केंद्रों को मजबूत किया जाए, विशेषकर उन कस्बाई इलाकों में जहां शिक्षित मध्यम वर्ग तेजी से बढ़ रहा है लेकिन मानसिक स्वास्थ्य और काउंसलिंग सेवाएं अभी भी बेहद सीमित हैं।
फिलहाल पूरा जिला इस बात से राहत महसूस कर रहा है कि महिला डॉक्टर सुरक्षित हैं और बड़ी त्रासदी टल गई। लेकिन इस घटनाक्रम ने यह बहस तेज कर दी है कि क्या समाज और संस्थाएं मिलकर ऐसे तनावग्रस्त रिश्तों को समय रहते पहचानने और संभालने में सक्षम हो पा रही हैं या नहीं। आने वाले दिनों में अदालत और पुलिस की आगे की कार्रवाई पर सभी की नज़र रहेगी, क्योंकि यही तय करेगा कि झुंझुनूं में वैवाहिक हिंसा और सुपारी किलिंग जैसी प्रवृत्तियों को कितना कड़ा कानूनी जवाब मिलता है।[2]
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी पत्नी ने तकरीबन पंद्रह लाख रुपये में दो शूटरों से सौदा तय किया था।[2] योजना के अनुसार, डॉक्टर की दिनचर्या और क्लिनिक से घर तक के रूट की कई दिनों तक रेकी की गई। बताया जा रहा है कि महिला डॉक्टर अक्सर देर रात ड्यूटी से लौटती थीं, जिसका फायदा उठाते हुए सुनसान जगह पर हमला करने की तैयारी थी। लेकिन एक आरोपी के मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल्स की निगरानी के दौरान संदिग्ध गतिविधि सामने आई, जिससे पुलिस को साजिश का सुराग मिल गया।[2]
जांच टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर संदिग्धों पर निगरानी बढ़ाई और कथित शूटरों से मिली डिजिटल चैट, बैंकिंग लेनदेन और सीसीटीवी फुटेज के सहारे पूरे नेटवर्क की कड़ियां जोड़नी शुरू कीं।[2] जैसे ही योजना अमल के करीब पहुंची, पुलिस ने तत्काल छापेमारी कर दोनों संदिग्धों को हिरासत में ले लिया और बाद में पूछताछ में पत्नी की संलिप्तता का खुलासा हुआ। फिलहाल मुख्य आरोपी महिला को भी गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, जबकि पुलिस यह जांचने में जुटी है कि क्या इस गिरोह के तार अन्य जिलों से भी जुड़े हैं।
घटना के सामने आने के बाद झुंझुनूं शहर के मेडिकल समुदाय और आम नागरिकों में गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है। डॉक्टर्स एसोसिएशन ने जिला कलेक्टर और एसपी से मुलाकात कर चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। संगठनों का कहना है कि यदि पढ़े-लिखे परिवारों में भी आपसी अविश्वास और वैवाहिक तनाव इतने गंभीर आपराधिक रूप ले रहे हैं, तो यह समाज के लिए खतरनाक संकेत है। वे चाहते हैं कि अदालत इस मामले में सख्त संदेश दे, ताकि कोई भी वैवाहिक विवाद को हिंसा और अपराध का रास्ता देने की हिम्मत न कर सके।
पुलिस प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि महत्वपूर्ण सरकारी अस्पतालों, निजी नर्सिंग होम्स और देर रात तक खुले रहने वाले क्लिनिकों के आसपास गश्त बढ़ाई जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, इस केस ने दिखाया है कि डिजिटल साक्ष्य, सीसीटीवी नेटवर्क और त्वरित इंटेलिजेंस इनपुट की मदद से संगठित आपराधिक साजिशों को शुरुआती स्तर पर ही ध्वस्त किया जा सकता है। पुलिस अब इस प्रकरण को एक केस स्टडी की तरह लेकर अपने साइबर और इंटेलिजेंस यूनिट की ट्रेनिंग में शामिल करने की तैयारी कर रही है, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों से और भी कुशलता से निपटा जा सके।
सामाजिक स्तर पर स्थानीय काउंसलर्स और महिला संगठनों ने इस मामले को वैवाहिक संवाद, काउंसलिंग और कानूनी मदद की कमी से भी जोड़ा है। उनका मानना है कि अगर विवाद की शुरुआती अवस्था में ही दोनों पक्षों को पेशेवर मनोवैज्ञानिक और कानूनी सलाह मिलती, तो मामला इतनी भयावह दिशा में नहीं जाता। कई सामाजिक कार्यकर्ता इसे उस बड़ी प्रवृत्ति का हिस्सा बता रहे हैं जिसमें व्यक्तिगत रिश्तों की टूटन सीधे हिंसा और अपराध की ओर मुड़ने लगी है। वे जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि परिवार परामर्श केंद्रों को मजबूत किया जाए, विशेषकर उन कस्बाई इलाकों में जहां शिक्षित मध्यम वर्ग तेजी से बढ़ रहा है लेकिन मानसिक स्वास्थ्य और काउंसलिंग सेवाएं अभी भी बेहद सीमित हैं।
फिलहाल पूरा जिला इस बात से राहत महसूस कर रहा है कि महिला डॉक्टर सुरक्षित हैं और बड़ी त्रासदी टल गई। लेकिन इस घटनाक्रम ने यह बहस तेज कर दी है कि क्या समाज और संस्थाएं मिलकर ऐसे तनावग्रस्त रिश्तों को समय रहते पहचानने और संभालने में सक्षम हो पा रही हैं या नहीं। आने वाले दिनों में अदालत और पुलिस की आगे की कार्रवाई पर सभी की नज़र रहेगी, क्योंकि यही तय करेगा कि झुंझुनूं में वैवाहिक हिंसा और सुपारी किलिंग जैसी प्रवृत्तियों को कितना कड़ा कानूनी जवाब मिलता है।[2]