Tension Escalates in Anupgarh After Alleged Mass Religious Conversion Racket Exposed
28 Dec, 2025
Anupgarh, Rajasthan
अनूपगढ़ ज़िले में हाल ही में उजागर हुए कथित बड़े धार्मिक परिवर्तन रैकेट ने पूरे इलाके का माहौल गर्मा दिया है। स्थानीय पुलिस की जांच, प्रशासनिक बैठकों और सामाजिक संगठनों की सक्रियता के बीच यह मुद्दा अब कानून‐व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द दोनों के लिए बड़ी चुनौती बनता दिखाई दे रहा है।[1]
मामला मूल रूप से अनूपगढ़ कस्बे के वार्ड नंबर 14 और आसपास के ग्रामीण इलाकों से जुड़ा है, जहाँ पुलिस को जबरन धार्मिक परिवर्तन की शिकायतें मिलीं। शिकायतकर्ता संदीप, जो 24 एपीडी गाँव का निवासी है, ने पुलिस को दिए बयान में आरोप लगाया कि उसे नौकरी और विवाह कराने के लालच में ईसाई धर्म अपनाने के लिए उकसाया गया और बाद में उस पर अन्य हिंदू युवाओं को भी धर्म परिवर्तन के लिए तैयार करने का दबाव बनाया गया।[1]
संदीप की शिकायत के आधार पर पुलिस ने प्रार्थना सभा और मिशनरी गतिविधियों से जुड़े पॉलुस बर्जो नामक व्यक्ति को हिरासत में लिया। पूछताछ में पॉलुस द्वारा किए गए खुलासों ने प्रशासन को भी चौंका दिया। पुलिस के अनुसार, पॉलुस ने स्वीकार किया कि पिछले लगभग 11 वर्षों में उसने अनूपगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में कम से कम 454 हिंदू व्यक्तियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित कराया।[1]
जांच में यह भी सामने आया कि पॉलुस झारखंड के कटिंगेल गाँव का मूल निवासी है, जिसने 1995 में स्वयं ईसाई धर्म अपनाया और बाद में ‘फ्रेंड्स मिशनरी प्रेयर बैंड’ नामक संगठन से जुड़ गया।[1] आरोप है कि संगठन द्वारा उसे हर साल कम से कम 20 लोगों का धर्म परिवर्तन कराने का लक्ष्य दिया जाता था और बदले में लगभग नौ हज़ार रुपये मासिक वेतन के साथ किराया, भोजन, यात्राएँ और बच्चों की पढ़ाई जैसे भत्ते भी उपलब्ध कराए जाते थे।[1]
स्थानीय सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, यह गतिविधियाँ केवल अनूपगढ़ शहर तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि 2 पीजीएम और 36 जीबी जैसे नज़दीकी गाँवों तक फैली रहीं।[1] पुलिस को पॉलुस के पास से एक रजिस्टर भी मिला है जिसमें कथित रूप से धर्म परिवर्तन करने वाले सैकड़ों लोगों के नाम और विवरण दर्ज हैं।[1] ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बीमारी, गरीबी और सामाजिक समस्याओं से जूझ रहे परिवारों को आर्थिक मदद, रोज़गार और “चमत्कारी इलाज” के वादों के ज़रिये प्रभावित किया जाता था।[1]
इन खुलासों के बाद क्षेत्र में सामाजिक और राजनीतिक सुगबुगाहट तेज हो गई है। विश्व हिंदू परिषद सहित कई हिंदू संगठनों ने अनूपगढ़ में धरना देकर प्रशासन से कठोर कार्रवाई की माँग की है।[1] वीएचपी पदाधिकारियों का आरोप है कि मिशनरी समूह हिंदू देवी–देवताओं के बारे में आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर लोगों की आस्था डिगाने की कोशिश कर रहे थे, जिसके कारण स्थानीय समुदाय में रोष व्याप्त है।[1]
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, मामले में पॉलुस के अलावा आर्यन, विनोद, श्यामलाल और सुरजीत जैसे कुछ अन्य संदिग्ध नाम भी सामने आए हैं, जिनकी भूमिका की जाँच चल रही है।[1] बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ स्थानीय स्तर पर ज़मीन की खरीद, प्रार्थना सभाओं के आयोजन और संभावित चर्च निर्माण की व्यवस्थाओं में जुड़े रहे हैं।[1] 2 पीजीएम और 36 जीबी गाँवों में चर्च बनाने के लिए कथित रूप से ज़मीन खरीदे जाने की बात भी जांच के दायरे में है, जहाँ एक स्थानीय व्यापारी द्वारा लगभग साढ़े तीन लाख रुपये का चंदा देने का आरोप है।[1]
जिला पुलिस प्रशासन ने संवेदनशीलता को देखते हुए संबंधित क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की है और अफवाहों पर नज़र रखने के लिए विशेष टीम बनाई है। अधिकारी स्थानीय सरपंचों, धर्मगुरुओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर लोगों से शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की भड़काऊ अफवाहों से दूर रहने की अपील कर रहे हैं।
कानूनी तौर पर, पुलिस ने जबरन या प्रलोभन के आधार पर धर्म परिवर्तन से जुड़े प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।[1] उच्च स्तर पर भी इस प्रकरण की रिपोर्ट भेजी गई है, और संभावना जताई जा रही है कि जाँच पूरी होने के बाद ज़िले में मिशनरी गतिविधियों की व्यापक समीक्षा की जा सकती है।
अनूपगढ़ के आम नागरिकों में फिलहाल असमंजस और चिंता का माहौल है। एक वर्ग इसे व्यक्तिगत आस्था और स्वतंत्रता का विषय मानते हुए सावधानी से जांच की आवश्यकता पर बल दे रहा है, जबकि दूसरा वर्ग इसे सुनियोजित साज़िश बताकर कठोर कार्रवाई की माँग कर रहा है। प्रशासन के लिए चुनौती यह है कि वह कानून का पालन कराते हुए दोनों पक्षों के बीच संवाद और शांति बनाए रखे, ताकि सीमांत ज़िले अनूपगढ़ की सामाजिक समरसता पर स्थायी आघात न पहुँचे।
मामला मूल रूप से अनूपगढ़ कस्बे के वार्ड नंबर 14 और आसपास के ग्रामीण इलाकों से जुड़ा है, जहाँ पुलिस को जबरन धार्मिक परिवर्तन की शिकायतें मिलीं। शिकायतकर्ता संदीप, जो 24 एपीडी गाँव का निवासी है, ने पुलिस को दिए बयान में आरोप लगाया कि उसे नौकरी और विवाह कराने के लालच में ईसाई धर्म अपनाने के लिए उकसाया गया और बाद में उस पर अन्य हिंदू युवाओं को भी धर्म परिवर्तन के लिए तैयार करने का दबाव बनाया गया।[1]
संदीप की शिकायत के आधार पर पुलिस ने प्रार्थना सभा और मिशनरी गतिविधियों से जुड़े पॉलुस बर्जो नामक व्यक्ति को हिरासत में लिया। पूछताछ में पॉलुस द्वारा किए गए खुलासों ने प्रशासन को भी चौंका दिया। पुलिस के अनुसार, पॉलुस ने स्वीकार किया कि पिछले लगभग 11 वर्षों में उसने अनूपगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में कम से कम 454 हिंदू व्यक्तियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित कराया।[1]
जांच में यह भी सामने आया कि पॉलुस झारखंड के कटिंगेल गाँव का मूल निवासी है, जिसने 1995 में स्वयं ईसाई धर्म अपनाया और बाद में ‘फ्रेंड्स मिशनरी प्रेयर बैंड’ नामक संगठन से जुड़ गया।[1] आरोप है कि संगठन द्वारा उसे हर साल कम से कम 20 लोगों का धर्म परिवर्तन कराने का लक्ष्य दिया जाता था और बदले में लगभग नौ हज़ार रुपये मासिक वेतन के साथ किराया, भोजन, यात्राएँ और बच्चों की पढ़ाई जैसे भत्ते भी उपलब्ध कराए जाते थे।[1]
स्थानीय सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, यह गतिविधियाँ केवल अनूपगढ़ शहर तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि 2 पीजीएम और 36 जीबी जैसे नज़दीकी गाँवों तक फैली रहीं।[1] पुलिस को पॉलुस के पास से एक रजिस्टर भी मिला है जिसमें कथित रूप से धर्म परिवर्तन करने वाले सैकड़ों लोगों के नाम और विवरण दर्ज हैं।[1] ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बीमारी, गरीबी और सामाजिक समस्याओं से जूझ रहे परिवारों को आर्थिक मदद, रोज़गार और “चमत्कारी इलाज” के वादों के ज़रिये प्रभावित किया जाता था।[1]
इन खुलासों के बाद क्षेत्र में सामाजिक और राजनीतिक सुगबुगाहट तेज हो गई है। विश्व हिंदू परिषद सहित कई हिंदू संगठनों ने अनूपगढ़ में धरना देकर प्रशासन से कठोर कार्रवाई की माँग की है।[1] वीएचपी पदाधिकारियों का आरोप है कि मिशनरी समूह हिंदू देवी–देवताओं के बारे में आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर लोगों की आस्था डिगाने की कोशिश कर रहे थे, जिसके कारण स्थानीय समुदाय में रोष व्याप्त है।[1]
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, मामले में पॉलुस के अलावा आर्यन, विनोद, श्यामलाल और सुरजीत जैसे कुछ अन्य संदिग्ध नाम भी सामने आए हैं, जिनकी भूमिका की जाँच चल रही है।[1] बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ स्थानीय स्तर पर ज़मीन की खरीद, प्रार्थना सभाओं के आयोजन और संभावित चर्च निर्माण की व्यवस्थाओं में जुड़े रहे हैं।[1] 2 पीजीएम और 36 जीबी गाँवों में चर्च बनाने के लिए कथित रूप से ज़मीन खरीदे जाने की बात भी जांच के दायरे में है, जहाँ एक स्थानीय व्यापारी द्वारा लगभग साढ़े तीन लाख रुपये का चंदा देने का आरोप है।[1]
जिला पुलिस प्रशासन ने संवेदनशीलता को देखते हुए संबंधित क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की है और अफवाहों पर नज़र रखने के लिए विशेष टीम बनाई है। अधिकारी स्थानीय सरपंचों, धर्मगुरुओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर लोगों से शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की भड़काऊ अफवाहों से दूर रहने की अपील कर रहे हैं।
कानूनी तौर पर, पुलिस ने जबरन या प्रलोभन के आधार पर धर्म परिवर्तन से जुड़े प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।[1] उच्च स्तर पर भी इस प्रकरण की रिपोर्ट भेजी गई है, और संभावना जताई जा रही है कि जाँच पूरी होने के बाद ज़िले में मिशनरी गतिविधियों की व्यापक समीक्षा की जा सकती है।
अनूपगढ़ के आम नागरिकों में फिलहाल असमंजस और चिंता का माहौल है। एक वर्ग इसे व्यक्तिगत आस्था और स्वतंत्रता का विषय मानते हुए सावधानी से जांच की आवश्यकता पर बल दे रहा है, जबकि दूसरा वर्ग इसे सुनियोजित साज़िश बताकर कठोर कार्रवाई की माँग कर रहा है। प्रशासन के लिए चुनौती यह है कि वह कानून का पालन कराते हुए दोनों पक्षों के बीच संवाद और शांति बनाए रखे, ताकि सीमांत ज़िले अनूपगढ़ की सामाजिक समरसता पर स्थायी आघात न पहुँचे।