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Farmers Protest Over Canal Water and Power Cuts Escalates in Jodhpur Rural

28 Dec, 2025 Jodhpur Rural, Rajasthan
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जोधपुर ग्रामीण ज़िले के कई इलाकों में नहर के पानी की अनियमित सप्लाई और लंबे समय से चल रही बिजली कटौती के खिलाफ किसानों और ग्रामीणों का आक्रोश उबाल पर पहुंच गया है। लूणी, बालेसर, ओसियां, बावड़ी, भोपालगढ़ और पीपर सिटी क्षेत्र के सैकड़ों किसानों ने संयुक्त रूप से पंचायत स्तर पर महापंचायतें बुलाकर सिंचाई पानी, बिजली आपूर्ति और मुआवज़े की पुरानी मांगों को दोबारा तेज़ कर दिया है। यह इलाका पहले जोधपुर ग्रामीण ज़िले के रूप में अलग इकाई था, जिसे 2023 में बनाया गया और बाद में 2024 के अंत में पुनर्गठन के दौरान भंग कर फिर से जोधपुर ज़िले में मिला दिया गया, जिसके बाद ग्रामीण इलाकों में प्रशासनिक समन्वय और विकास योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर असंतोष बढ़ा है[2]।

ग्रामीण किसानों का कहना है कि रबी फसल के बीच नहरों में पानी की कमी, समय पर टेल तक पानी न पहुंचना और फीडरवार कटौती ने गेहूं, चने और सरसों की फसलों को गंभीर नुकसान की कगार पर ला खड़ा किया है। ओसियां और बालेसर बेल्ट के कई गांवों में किसानों ने रातभर की बिजली कटौती के विरोध में खेतों से ट्रैक्टर निकाल कर मुख्य सड़कों पर प्रदर्शन किए, हालांकि यातायात आंशिक रूप से ही बाधित हुआ। किसान नेताओं का आरोप है कि जल संसाधन विभाग और बिजली निगम के बीच तालमेल की कमी और लाइन लॉस के नाम पर गांवों में मनमाने शटडाउन से आम ग्रामीण को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।

महापंचायतों में कई वक्ताओं ने यह मुद्दा भी उठाया कि जोधपुर ग्रामीण ज़िला बनने और फिर हटने की प्रक्रिया के बीच गांवों में प्रस्तावित कई विकास कार्य या तो अधर में लटक गए या फिर उनकी प्राथमिकता घट गई[2]। स्थानीय प्रतिनिधियों पर यह आरोप भी लगाया गया कि उन्होंने विधानसभा चुनावों के समय नहर के पक्कीकरण, नए ट्रांसफार्मर और कृषि कनेक्शन के वादे किए, लेकिन अब तक धरातल पर सीमित काम ही दिख रहा है। कुछ किसानों ने चेतावनी दी कि यदि अगले कुछ हफ्तों में पानी और बिजली की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वे ज़िला मुख्यालय का घेराव करेंगे और अनिश्चितकालीन धरने की राह अपनाएंगे।

लूणी और बिलाड़ा क्षेत्र के कुछ गांवों में महिलाओं ने भी आगे बढ़कर जल संकट और टैंकर निर्भरता के विरोध में अलग से बैठकें कीं। उनका कहना है कि पेयजल के लिए रोज़ाना कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है, जबकि कागज़ों पर हर घर नल योजना के दावे किए जा रहे हैं। युवाओं ने सोशल मीडिया के ज़रिये खराब फीडर, जली हुई ट्रांसफार्मर चेंबर और सूखी नहरों की तस्वीरें साझा कर प्रशासन को टैग किया, जिससे स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की सक्रियता थोड़ी बढ़ी, लेकिन जमीनी राहत अभी भी अपर्याप्त बताई जा रही है।

इधर, प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों की चिंताओं को स्वीकारते हुए कहा है कि सिंचाई समय-सारणी की पुनर्समीक्षा की जा रही है और जोधपुर कमांड एरिया में नहरों की सफाई, अवैध कट और लीक पर विशेष अभियान चलाया जाएगा। बिजली विभाग ने भी दावा किया कि निर्धारित कृषि फीडरों पर रात के समय कम से कम 6–7 घंटे आपूर्ति सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है और तकनीकी खराबियों को प्राथमिकता से दूर किया जा रहा है। अधिकारियों ने किसानों से अपील की कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखें और सड़क जाम या हिंसक विरोध से बचें, ताकि वार्ता का रास्ता खुला रहे।

किसान संगठनों ने हालांकि स्पष्ट किया है कि वे फिलहाल किसी बड़े राज्यव्यापी आंदोलन में शामिल होने के बजाय जमीनी स्तर पर ब्लॉकवार दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर जनवरी के पहले पखवाड़े तक नहर और बिजली व्यवस्था में ठोस सुधार नहीं दिखा, तो वे लेफ्टिनेंट गवर्नर/राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक ज्ञापन सौंपकर आंदोलन को चरणबद्ध रूप से तेज़ करेंगे। जोधपुर ग्रामीण क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह आंदोलन केवल पानी और बिजली का नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास योजनाओं की समग्र समीक्षा और नए ज़िला पुनर्गठन के बाद पैदा हुए प्रशासनिक शून्य को भरने की भी पुकार है।
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