Rajasthan Minister Orders Crackdown On Illegal Mining, Plans To Develop Deeg As Major Religious Tourism Hub
28 Dec, 2025
Deeg, Rajasthan
ब्रज क्षेत्र के महत्वपूर्ण धार्मिक नगर **डीग** में अवैध खनन पर अंकुश और धार्मिक पर्यटन के व्यापक विकास को लेकर सरकार ने अब सख्त रुख अपना लिया है। हाल ही में गृह राज्य मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक **जवाहर सिंह बेडम** की अध्यक्षता में साधु-संतों और जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के बीच हुई निर्णायक बैठक में कई अहम फैसले लिए गए, जिनका सीधा असर डीग जिले के धार्मिक परिवेश, रोजगार के अवसरों और पर्यावरण पर पड़ने की उम्मीद है।[3]
बैठक में सबसे महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया कि डीग जिले को **धार्मिक पर्यटन तीर्थ** के रूप में योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा।[3] ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा, डीग पैलेस, बागों और प्राचीन मंदिरों की आस्था से जुड़े महत्व को देखते हुए पर्यटन अवसंरचना को मजबूत करने, सड़क संपर्क, पार्किंग, स्वच्छता और श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाओं के विस्तार पर विस्तृत चर्चा की गई। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विकास योजनाओं का खाका तय समय में तैयार कर राज्य सरकार को भेजा जाए, ताकि बजट प्रावधान के साथ काम तेजी से शुरू हो सके।[3]
बैठक में साधु-संतों ने विशेष रूप से **लिवासना क्षेत्र** में चल रहे अवैध खनन की शिकायतों को सामने रखा और बताया कि लगभग 1.5 किलोमीटर के दायरे में लगातार मशीनों से पहाड़ और भूमि का क्षरण हो रहा है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि धार्मिक स्थलों की शांति और सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है।[3] इस पर गृह राज्य मंत्री ने खनन विभाग के अधिकारियों को **तत्काल जांच** के आदेश दिए और निर्देश दिया कि जमीनी स्थिति की रिपोर्ट जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाए।[3]
मंत्री जवाहर सिंह बेडम ने मौके पर मौजूद कलेक्टर, एसपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को साफ संकेत दिया कि अवैध खनन और उससे जुड़ी गतिविधियों पर किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि जहां भी नियमों की अनदेखी या मिलीभगत पाई जाएगी, वहां **संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय करते हुए विभागीय कार्रवाई** की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा न मिले।[3]
अवैध गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए संवेदनशील खनन क्षेत्रों में **पुलिस चौकियां स्थापित** करने का निर्णय भी लिया गया है।[3] इससे रात के समय होने वाली अवैध ढुलाई, ट्रैक्टर-ट्रॉली और हाइवा के आवागमन पर निगरानी रखी जा सकेगी। बैठक में यह भी तय हुआ कि पुलिस और खनन विभाग की संयुक्त टीमें समय-समय पर औचक निरीक्षण करेंगी और अगर कहीं भी बिना मान्य पट्टा या सीमा से बाहर खनन पाया जाता है तो मशीनों, वाहनों और उपकरणों को तुरंत जब्त कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।[3]
बैठक में डीएफओ चेतन कुमार, एएसपी अखिलेश शर्मा, खनन एवं राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, ब्रज क्षेत्र के कई प्रमुख साधु-संत और सामाजिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे।[3] साधु-संतों ने सरकार की मंशा का स्वागत करते हुए कहा कि यदि प्रशासन सख्ती से फैसलों को लागू करता है तो डीग और आसपास के क्षेत्रों में वर्षों से चल रहे अवैध खनन पर काफी हद तक रोक लगेगी और धार्मिक वातावरण सुरक्षित होगा।
स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर डीग को संगठित रूप से धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया गया, तो यहां होटलों, गेस्ट हाउस, परिवहन, हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों से जुड़े व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा। इससे युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिल सकते हैं और किसानों व ग्रामीणों को पूरक आय के साधन मिलेंगे। पर्यटन विशेषज्ञ भी मानते हैं कि डीग महल, जल महल, रंगीन फव्वारों और ऐतिहासिक बागों के साथ अगर ब्रज परिक्रमा मार्ग का बेहतर एकीकरण हो, तो देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
पर्यावरणविदों की राय है कि सरकार द्वारा अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम यदि ईमानदारी से लागू किए गए, तो अरावली की पहाड़ियों, स्थानीय जल स्रोतों और वन्य जीवन की सुरक्षा में बड़ा योगदान मिलेगा। वे यह भी सुझाव दे रहे हैं कि डीग क्षेत्र में **इको-टूरिज्म** और हरित पट्टियों के विकास पर भी समानांतर काम होना चाहिए, ताकि धार्मिक आस्था और प्राकृतिक संतुलन के बीच संतुलित सह-अस्तित्व की मिसाल पेश की जा सके।
बैठक में सबसे महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया कि डीग जिले को **धार्मिक पर्यटन तीर्थ** के रूप में योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा।[3] ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा, डीग पैलेस, बागों और प्राचीन मंदिरों की आस्था से जुड़े महत्व को देखते हुए पर्यटन अवसंरचना को मजबूत करने, सड़क संपर्क, पार्किंग, स्वच्छता और श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाओं के विस्तार पर विस्तृत चर्चा की गई। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विकास योजनाओं का खाका तय समय में तैयार कर राज्य सरकार को भेजा जाए, ताकि बजट प्रावधान के साथ काम तेजी से शुरू हो सके।[3]
बैठक में साधु-संतों ने विशेष रूप से **लिवासना क्षेत्र** में चल रहे अवैध खनन की शिकायतों को सामने रखा और बताया कि लगभग 1.5 किलोमीटर के दायरे में लगातार मशीनों से पहाड़ और भूमि का क्षरण हो रहा है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि धार्मिक स्थलों की शांति और सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है।[3] इस पर गृह राज्य मंत्री ने खनन विभाग के अधिकारियों को **तत्काल जांच** के आदेश दिए और निर्देश दिया कि जमीनी स्थिति की रिपोर्ट जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाए।[3]
मंत्री जवाहर सिंह बेडम ने मौके पर मौजूद कलेक्टर, एसपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को साफ संकेत दिया कि अवैध खनन और उससे जुड़ी गतिविधियों पर किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि जहां भी नियमों की अनदेखी या मिलीभगत पाई जाएगी, वहां **संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय करते हुए विभागीय कार्रवाई** की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा न मिले।[3]
अवैध गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए संवेदनशील खनन क्षेत्रों में **पुलिस चौकियां स्थापित** करने का निर्णय भी लिया गया है।[3] इससे रात के समय होने वाली अवैध ढुलाई, ट्रैक्टर-ट्रॉली और हाइवा के आवागमन पर निगरानी रखी जा सकेगी। बैठक में यह भी तय हुआ कि पुलिस और खनन विभाग की संयुक्त टीमें समय-समय पर औचक निरीक्षण करेंगी और अगर कहीं भी बिना मान्य पट्टा या सीमा से बाहर खनन पाया जाता है तो मशीनों, वाहनों और उपकरणों को तुरंत जब्त कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।[3]
बैठक में डीएफओ चेतन कुमार, एएसपी अखिलेश शर्मा, खनन एवं राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, ब्रज क्षेत्र के कई प्रमुख साधु-संत और सामाजिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे।[3] साधु-संतों ने सरकार की मंशा का स्वागत करते हुए कहा कि यदि प्रशासन सख्ती से फैसलों को लागू करता है तो डीग और आसपास के क्षेत्रों में वर्षों से चल रहे अवैध खनन पर काफी हद तक रोक लगेगी और धार्मिक वातावरण सुरक्षित होगा।
स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर डीग को संगठित रूप से धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया गया, तो यहां होटलों, गेस्ट हाउस, परिवहन, हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों से जुड़े व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा। इससे युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिल सकते हैं और किसानों व ग्रामीणों को पूरक आय के साधन मिलेंगे। पर्यटन विशेषज्ञ भी मानते हैं कि डीग महल, जल महल, रंगीन फव्वारों और ऐतिहासिक बागों के साथ अगर ब्रज परिक्रमा मार्ग का बेहतर एकीकरण हो, तो देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
पर्यावरणविदों की राय है कि सरकार द्वारा अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम यदि ईमानदारी से लागू किए गए, तो अरावली की पहाड़ियों, स्थानीय जल स्रोतों और वन्य जीवन की सुरक्षा में बड़ा योगदान मिलेगा। वे यह भी सुझाव दे रहे हैं कि डीग क्षेत्र में **इको-टूरिज्म** और हरित पट्टियों के विकास पर भी समानांतर काम होना चाहिए, ताकि धार्मिक आस्था और प्राकृतिक संतुलन के बीच संतुलित सह-अस्तित्व की मिसाल पेश की जा सके।