Water Scarcity, Highway Safety Concerns and Farmer Distress Dominate Local Discourse in Jalore
28 Dec, 2025
Jalore, Rajasthan
जलौर ज़िले में इन दिनों स्थानीय स्तर पर सबसे ज़्यादा चर्चा तीन बड़े मुद्दों की हो रही है – पेयजल संकट, राष्ट्रीय राजमार्गों पर बढ़ती सड़क दुर्घटनाएँ, और किसानों की फसल व बाज़ार से जुड़ी परेशानियाँ। इन तीनों मुद्दों ने न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित किया है, बल्कि शहरों और कस्बों में भी जनप्रतिनिधियों व प्रशासन के प्रति नाराज़गी को तेज़ कर दिया है।
सबसे गंभीर स्थिति पेयजल आपूर्ति को लेकर देखी जा रही है। जालोर शहर के साथ-साथ भिनमाल, सांचौर, अहोर, बागोड़ा, रानीवाड़ा, सयला व आसपास के सैकड़ों गांवों में नलों से पानी सप्लाई समय पर नहीं हो पा रही है। कई इलाकों में दो–तीन दिन में एक बार ही पानी पहुंच रहा है, जिससे लोगों को निजी टैंकरों पर निर्भर होना पड़ रहा है। ग्रामीण महिलाओं को कई किलोमीटर दूर हैंडपंप या कुंओं तक पैदल जाना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जलदाय विभाग की पाइपलाइनें जर्जर हैं और कई जगह लीकेज के कारण आधा पानी रास्ते में ही बह जाता है। वहीं, प्रशासन कह रहा है कि Narmada व अन्य स्रोतों से आपूर्ति बेहतर करने और पुरानी पाइपलाइन बदलने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन लोगों को ज़मीनी स्तर पर अभी इसका लाभ नहीं दिख रहा।
दूसरा बड़ा मुद्दा जिले से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर हादसों में वृद्धि को लेकर है। जालोर–सांचौर–बरमेर रोड और जालोर–पाली मार्ग पर बीते हफ्तों में कई सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान गई है। ट्रक, ट्रेलर और तेज़ रफ़्तार कारों के कारण खासकर रात के समय हादसे बढ़े हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि हाईवे पर पर्याप्त स्ट्रीट लाइट, कट प्वाइंट पर साइन बोर्ड और स्पीड ब्रेकर नहीं हैं। कई स्थानों पर सड़क की मरम्मत अधूरी पड़ी है जिससे गड्ढों और अचानक टूटे हिस्सों के कारण वाहन असंतुलित हो रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए सामाजिक संगठनों ने पुलिस प्रशासन व NHAI से कठोर कार्रवाई, नियमित चालान और ब्लैक स्पॉट पर त्वरित सुधार की मांग की है।
किसानों की स्थिति भी चिंता का विषय बनी हुई है। जालोर जिले के बड़े हिस्से में जीरा, मैथी, चना व गेहूं जैसी रबी फसलों पर मौसम की मार और खर्च में बढ़ोतरी का असर दिख रहा है। कई किसानों का कहना है कि डीज़ल, खाद व कीटनाशक की कीमतें बढ़ने से लागत बहुत ऊपर चली गई है, जबकि मंडियों में उन्हें उपज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा। सांचौर व भिनमाल मंडियों में जीरा और मैथी के भाव को लेकर असंतोष है। किसान संगठनों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की मजबूत गारंटी और समय पर भुगतान की मांग दोहराई है। साथ ही, नहरों और ट्यूबवेलों के लिए निर्बाध बिजली सप्लाई नहीं मिलने से सिंचाई पर भी असर पड़ रहा है।
इन तीनों मुद्दों के बीच आम नागरिकों की अपेक्षा है कि जिला प्रशासन, जलदाय, परिवहन और कृषि विभाग समन्वय के साथ त्वरित कदम उठाएं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर भी दबाव है कि वे विधानसभा और संसद स्तर पर इन समस्याओं को मजबूती से उठाएं। सामाजिक व युवा संगठनों ने संकेत दिया है कि अगर जल्द ठोस पहल नहीं हुई, तो वे जल–सड़क–किसान मुद्दों पर व्यापक जनआंदोलन खड़ा कर सकते हैं। जालोर जैसे सीमावर्ती और कृषि–प्रधान जिले के विकास की दिशा तय करने में आने वाले दिनों में इन मुद्दों की भूमिका अहम मानी जा रही है।
सबसे गंभीर स्थिति पेयजल आपूर्ति को लेकर देखी जा रही है। जालोर शहर के साथ-साथ भिनमाल, सांचौर, अहोर, बागोड़ा, रानीवाड़ा, सयला व आसपास के सैकड़ों गांवों में नलों से पानी सप्लाई समय पर नहीं हो पा रही है। कई इलाकों में दो–तीन दिन में एक बार ही पानी पहुंच रहा है, जिससे लोगों को निजी टैंकरों पर निर्भर होना पड़ रहा है। ग्रामीण महिलाओं को कई किलोमीटर दूर हैंडपंप या कुंओं तक पैदल जाना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जलदाय विभाग की पाइपलाइनें जर्जर हैं और कई जगह लीकेज के कारण आधा पानी रास्ते में ही बह जाता है। वहीं, प्रशासन कह रहा है कि Narmada व अन्य स्रोतों से आपूर्ति बेहतर करने और पुरानी पाइपलाइन बदलने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन लोगों को ज़मीनी स्तर पर अभी इसका लाभ नहीं दिख रहा।
दूसरा बड़ा मुद्दा जिले से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर हादसों में वृद्धि को लेकर है। जालोर–सांचौर–बरमेर रोड और जालोर–पाली मार्ग पर बीते हफ्तों में कई सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान गई है। ट्रक, ट्रेलर और तेज़ रफ़्तार कारों के कारण खासकर रात के समय हादसे बढ़े हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि हाईवे पर पर्याप्त स्ट्रीट लाइट, कट प्वाइंट पर साइन बोर्ड और स्पीड ब्रेकर नहीं हैं। कई स्थानों पर सड़क की मरम्मत अधूरी पड़ी है जिससे गड्ढों और अचानक टूटे हिस्सों के कारण वाहन असंतुलित हो रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए सामाजिक संगठनों ने पुलिस प्रशासन व NHAI से कठोर कार्रवाई, नियमित चालान और ब्लैक स्पॉट पर त्वरित सुधार की मांग की है।
किसानों की स्थिति भी चिंता का विषय बनी हुई है। जालोर जिले के बड़े हिस्से में जीरा, मैथी, चना व गेहूं जैसी रबी फसलों पर मौसम की मार और खर्च में बढ़ोतरी का असर दिख रहा है। कई किसानों का कहना है कि डीज़ल, खाद व कीटनाशक की कीमतें बढ़ने से लागत बहुत ऊपर चली गई है, जबकि मंडियों में उन्हें उपज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा। सांचौर व भिनमाल मंडियों में जीरा और मैथी के भाव को लेकर असंतोष है। किसान संगठनों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की मजबूत गारंटी और समय पर भुगतान की मांग दोहराई है। साथ ही, नहरों और ट्यूबवेलों के लिए निर्बाध बिजली सप्लाई नहीं मिलने से सिंचाई पर भी असर पड़ रहा है।
इन तीनों मुद्दों के बीच आम नागरिकों की अपेक्षा है कि जिला प्रशासन, जलदाय, परिवहन और कृषि विभाग समन्वय के साथ त्वरित कदम उठाएं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर भी दबाव है कि वे विधानसभा और संसद स्तर पर इन समस्याओं को मजबूती से उठाएं। सामाजिक व युवा संगठनों ने संकेत दिया है कि अगर जल्द ठोस पहल नहीं हुई, तो वे जल–सड़क–किसान मुद्दों पर व्यापक जनआंदोलन खड़ा कर सकते हैं। जालोर जैसे सीमावर्ती और कृषि–प्रधान जिले के विकास की दिशा तय करने में आने वाले दिनों में इन मुद्दों की भूमिका अहम मानी जा रही है।