Tension in Salumbar Over Water Supply, Farmers and Students Raise Local Demands
28 Dec, 2025
Salumbar, Rajasthan
सलूम्बर (जिला उदयपुर) क्षेत्र में इन दिनों पेयजल संकट, ठंड की मार और किसानों की मांगों को लेकर स्थानीय स्तर पर हलचल तेज हो गई है। अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे इस आदिवासी बहुल इलाके में नगर और ग्राम पंचायतों के स्तर पर रोजमर्रा की समस्याएँ फिर से चर्चा के केंद्र में हैं। उदयपुर संभाग में जारी शीतलहर और तापमान में अचानक गिरावट से सलूम्बर के ग्रामीण इलाकों में आमजन, किसान और स्कूली बच्चे सभी प्रभावित हो रहे हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने राजस्थान के कई जिलों में ठंड की चेतावनी जारी की है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में भी एहतियात बढ़ा दी गई है।[2]
सलूम्बर कस्बे और आसपास के गाँवों में सबसे बड़ी चिंता पेयजल आपूर्ति को लेकर दिखाई दे रही है। कस्बे के कई वार्डों में नल से पानी अनियमित रूप से आ रहा है, जबकि ऊँचाई पर बसे मोहल्लों में लोगों को अब भी टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में हैंडपंपों के खराब होने और छोटी पहाड़ी नहरों में पानी का स्तर घटने से महिलाएँ और बच्चे रोज कई किलोमीटर दूर से पानी भरने को मजबूर हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि नगर पालिका और जलदाय विभाग को बार-बार ज्ञापन दिए जाने के बावजूद स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम अभी तक नहीं उठाए गए हैं।
किसानों की मुश्किलें भी कम नहीं हैं। सलूम्बर और आस‑पास के खेतों में मक्का, गेहूं और चारे की फसलें खड़ी हैं, लेकिन सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी न होने से पैदावार पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। जिन किसानों के पास निजी कुएँ और ट्यूबवेल हैं, वे डीजल और बिजली के बढ़ते खर्च से परेशान हैं, जबकि बरसाती नालों पर निर्भर छोटे और सीमांत किसान पानी की कमी और ठंडी हवा के दोहरे दबाव में फसल बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। मौसम विभाग द्वारा न्यूनतम तापमान में गिरावट की चेतावनी के बाद कृषि विभाग ने पाला से बचाव के लिए सिंचाई, हल्की गुड़ाई और खेतों में धुआँ करने जैसी पारंपरिक सलाह किसानों को भेजनी शुरू की है।[2]
शिक्षा के मोर्चे पर भी स्थिति चुनौतीपूर्ण है। ग्रामीण स्कूलों में सुबह की पाली में पढ़ने आने वाले बच्चों को कड़कड़ाती ठंड में लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। कई अभिभावकों ने मांग की है कि प्राथमिक और मध्य विद्यालयों का समय कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ाया जाए, ताकि बच्चे गहरी ठंड से बच सकें। उदयपुर जिला मुख्यालय में न्यायालयों की शीतकालीन छुट्टियों के दौरान वैकल्पिक व्यवस्थाएँ लागू की गई हैं, जिसका अप्रत्यक्ष असर सलूम्बर क्षेत्र के उन लोगों पर भी पड़ रहा है जिनके मामले उच्च न्यायालय या जिला अदालत स्तर पर लंबित हैं, क्योंकि तारीखें आगे खिसकने से न्याय पाने की प्रतीक्षा और लंबी हो रही है।[4][6]
स्थानीय राजनीति में भी हलचल बनी हुई है। पूरे राजस्थान में पंचायत और निकाय स्तर पर होने वाले आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न दलों के कार्यकर्ता सलूम्बर क्षेत्र में संपर्क अभियान तेज कर रहे हैं। राज्य स्तर पर पंचायत और निकाय चुनावों से जुड़े खर्च की सीमा बढ़ाने के फैसले पर यहाँ के जनप्रतिनिधि और युवाओं के बीच चर्चा तेज है, क्योंकि इससे चुनावी प्रतिस्पर्धा में धनबल के प्रभाव को लेकर नई बहस छिड़ गई है।[1]
युवाओं और छात्रों के बीच रोजगार और प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर चिंता साफ दिखाई दे रही है। राज्य में सरकारी भर्तियों, नई योजनाओं और चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी होने से जुड़ी खबरें उदयपुर संभाग तक पहुँची हैं, लेकिन सलूम्बर के युवाओं का कहना है कि उन्हें मार्गदर्शन, कोचिंग और डिजिटल सुविधाओं की कमी के कारण बराबरी की होड़ में पीछे रह जाने का डर सता रहा है।[1][5]
इधर, पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सलूम्बर‑सलूंबरगढ़ किला बेल्ट में ठंडी लेकिन साफ़ मौसम के कारण स्थानीय पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी है। सप्ताहांत पर आस‑पास के गाँवों से परिवार ऐतिहासिक दुर्ग, झीलों और पहाड़ी व्यू‑पॉइंट्स पर पहुँच रहे हैं, जिससे छोटे दुकानदारों और होटल‑ढाबा संचालकों को कुछ राहत मिली है। हालांकि वे अब भी सड़क मरम्मत, साफ‑सफाई और बुनियादी ढाँचे में सुधार की माँग दोहरा रहे हैं, ताकि सलूम्बर को क्षेत्रीय पर्यटन मानचित्र पर मज़बूती से स्थापित किया जा सके।
सलूम्बर कस्बे और आसपास के गाँवों में सबसे बड़ी चिंता पेयजल आपूर्ति को लेकर दिखाई दे रही है। कस्बे के कई वार्डों में नल से पानी अनियमित रूप से आ रहा है, जबकि ऊँचाई पर बसे मोहल्लों में लोगों को अब भी टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में हैंडपंपों के खराब होने और छोटी पहाड़ी नहरों में पानी का स्तर घटने से महिलाएँ और बच्चे रोज कई किलोमीटर दूर से पानी भरने को मजबूर हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि नगर पालिका और जलदाय विभाग को बार-बार ज्ञापन दिए जाने के बावजूद स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम अभी तक नहीं उठाए गए हैं।
किसानों की मुश्किलें भी कम नहीं हैं। सलूम्बर और आस‑पास के खेतों में मक्का, गेहूं और चारे की फसलें खड़ी हैं, लेकिन सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी न होने से पैदावार पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। जिन किसानों के पास निजी कुएँ और ट्यूबवेल हैं, वे डीजल और बिजली के बढ़ते खर्च से परेशान हैं, जबकि बरसाती नालों पर निर्भर छोटे और सीमांत किसान पानी की कमी और ठंडी हवा के दोहरे दबाव में फसल बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। मौसम विभाग द्वारा न्यूनतम तापमान में गिरावट की चेतावनी के बाद कृषि विभाग ने पाला से बचाव के लिए सिंचाई, हल्की गुड़ाई और खेतों में धुआँ करने जैसी पारंपरिक सलाह किसानों को भेजनी शुरू की है।[2]
शिक्षा के मोर्चे पर भी स्थिति चुनौतीपूर्ण है। ग्रामीण स्कूलों में सुबह की पाली में पढ़ने आने वाले बच्चों को कड़कड़ाती ठंड में लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। कई अभिभावकों ने मांग की है कि प्राथमिक और मध्य विद्यालयों का समय कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ाया जाए, ताकि बच्चे गहरी ठंड से बच सकें। उदयपुर जिला मुख्यालय में न्यायालयों की शीतकालीन छुट्टियों के दौरान वैकल्पिक व्यवस्थाएँ लागू की गई हैं, जिसका अप्रत्यक्ष असर सलूम्बर क्षेत्र के उन लोगों पर भी पड़ रहा है जिनके मामले उच्च न्यायालय या जिला अदालत स्तर पर लंबित हैं, क्योंकि तारीखें आगे खिसकने से न्याय पाने की प्रतीक्षा और लंबी हो रही है।[4][6]
स्थानीय राजनीति में भी हलचल बनी हुई है। पूरे राजस्थान में पंचायत और निकाय स्तर पर होने वाले आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न दलों के कार्यकर्ता सलूम्बर क्षेत्र में संपर्क अभियान तेज कर रहे हैं। राज्य स्तर पर पंचायत और निकाय चुनावों से जुड़े खर्च की सीमा बढ़ाने के फैसले पर यहाँ के जनप्रतिनिधि और युवाओं के बीच चर्चा तेज है, क्योंकि इससे चुनावी प्रतिस्पर्धा में धनबल के प्रभाव को लेकर नई बहस छिड़ गई है।[1]
युवाओं और छात्रों के बीच रोजगार और प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर चिंता साफ दिखाई दे रही है। राज्य में सरकारी भर्तियों, नई योजनाओं और चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी होने से जुड़ी खबरें उदयपुर संभाग तक पहुँची हैं, लेकिन सलूम्बर के युवाओं का कहना है कि उन्हें मार्गदर्शन, कोचिंग और डिजिटल सुविधाओं की कमी के कारण बराबरी की होड़ में पीछे रह जाने का डर सता रहा है।[1][5]
इधर, पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सलूम्बर‑सलूंबरगढ़ किला बेल्ट में ठंडी लेकिन साफ़ मौसम के कारण स्थानीय पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी है। सप्ताहांत पर आस‑पास के गाँवों से परिवार ऐतिहासिक दुर्ग, झीलों और पहाड़ी व्यू‑पॉइंट्स पर पहुँच रहे हैं, जिससे छोटे दुकानदारों और होटल‑ढाबा संचालकों को कुछ राहत मिली है। हालांकि वे अब भी सड़क मरम्मत, साफ‑सफाई और बुनियादी ढाँचे में सुधार की माँग दोहरा रहे हैं, ताकि सलूम्बर को क्षेत्रीय पर्यटन मानचित्र पर मज़बूती से स्थापित किया जा सके।