बरमेर में तनाव के बाद सन्नाटा, फीस बढ़ोतरी आंदोलन, प्रेम विवाह विवाद और सर्दी के बीच ग्रामीण संकट
29 Dec, 2025
Barmer, Rajasthan
बरमेर जिले में पिछले एक हफ्ते से शिक्षा, कानून-व्यवस्था और ग्रामीण जीवन से जुड़ी घटनाओं ने माहौल को गर्म कर दिया है, जबकि मौसम की कड़ाके की सर्दी लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही है। जिले भर से मिल रही सूचनाओं के आधार पर आज की बड़ी स्थानीय खबरें इस प्रकार हैं।
सबसे पहले शहर की छात्र राजनीति पर नज़र डालें तो मुलतानमल भीखचंद छाजेड़ महिला कॉलेज बरमेर में परीक्षा फीस में करीब तीन गुना बढ़ोतरी के खिलाफ चल रहा छात्र आंदोलन थमता नज़र नहीं आ रहा है।[1] छात्राओं का आरोप है कि अचानक बढ़ी फीस से साधारण परिवारों की बेटियों की पढ़ाई पर खतरा मंडरा रहा है।[1] एबीवीपी से जुड़े छात्र नेता भी इस आंदोलन में कूद पड़े, जिसके बाद प्रशासन से टकराव की स्थिति बनी।[1]
सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्र नेताओं ने जिला कलेक्टर टीना डाबी को लेकर टिप्पणी की, जिसके बाद पुलिस ने दो नेताओं को हिरासत में ले लिया।[1] इससे नाराज़ विद्यार्थियों ने थाने के अंदर ही धरना शुरू कर दिया और देर रात तक नारेबाजी होती रही।[1] ग्रामीण इलाकों से भी छात्र संगठनों ने इस आंदोलन को समर्थन देने की बात कही है। फिलहाल कॉलेज प्रबंधन और जिला प्रशासन के बीच बातचीत की कवायद चल रही है, लेकिन अभी तक फीस वृद्धि वापस लेने पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।[1]
इधर जिले के गुड़ामालानी क्षेत्र से प्रेम विवाह को लेकर दो परिवारों के बीच खूनी संघर्ष की चौंकाने वाली घटना सामने आई है।[3] दो दिनों पहले हुए इस विवाद में पहले लड़की पक्ष के लोगों ने लड़के के बड़े भाई पर तेजधार हथियार से हमला कर उसकी नाक काट दी।[3] जवाबी कार्रवाई में लड़के पक्ष के रिश्तेदारों ने लड़की के चाचा की पिटाई कर दी, जिसमें उसका पैर टूट गया।[3] दोनों गंभीर रूप से घायल हैं और उपचाराधीन हैं।[3]
घटना की सूचना पर डीएसपी स्तर के अधिकारी और गुड़ामालानी थाना पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों से अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए हैं।[3] पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टीमें गठित की हैं और गांव में अतिरिक्त जाप्ता तैनात कर दिया गया है।[3] सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे मामलों में पंचायतों को भी सक्रिय होकर बीच-बचाव करना चाहिए, ताकि निजी रंजिश सामुदायिक तनाव में न बदले।
राज्य स्तरीय मौसम अलर्ट का असर बरमेर पर भी पड़ा है। प्रदेश भर में चल रही शीतलहर के बीच जिले के कई हिस्सों, खासकर ग्रामीण इलाकों में सुबह-शाम सड़कों पर सन्नाटा छाया रहा।[4] किसानों ने बताया कि ठंडी हवाओं और कोहरे जैसी स्थिति के कारण पशुपालन और सिंचाई दोनों प्रभावित हो रहे हैं। सिंचाई के लिए मोटर चलाने का समय घट गया है, वहीं खुले में बैठने की मजबूरी से बुजुर्ग और छोटे बच्चों में सर्दी-बुखार के मामले बढ़ रहे हैं।
राज्य सरकार की हाल की घोषणाओं – जैसे सरकारी भवनों पर सोलर सिस्टम लगाने और अवैध खनन पर सख्ती – को लेकर भी स्थानीय राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज है, हालांकि बरमेर जिले के किन-किन क्षेत्रों पर इनका सीधा असर होगा, इस बारे में साफ खाका सामने आने का इंतजार है।[2][4] जिला मुख्यालय पर बैठकों में जनप्रतिनिधि यह मांग उठा रहे हैं कि मरुस्थलीय इलाकों में नवीकरणीय ऊर्जा और जल संरक्षण से जुड़े प्रोजेक्टों को प्राथमिकता दी जाए।
प्रशासनिक हलकों में यह भी चर्चा है कि जिले की कलेक्टर टीना डाबी के पति और आईएएस अधिकारी प्रदीप गवांडे के पदोन्नति आदेश जल्द जारी होने की संभावना है, जिस पर प्रदेश भर की ब्यूरोक्रेसी की नजर है।[5] स्थानीय लोग मानते हैं कि यदि उच्च स्तर पर स्थिर और मजबूत प्रशासनिक टीम बनेगी तो बरमेर जैसे सीमावर्ती और पिछड़े जिले में योजनाओं के ज़मीनी क्रियान्वयन की रफ्तार तेज हो सकती है।[5]
कुल मिलाकर, बरमेर इस समय छात्र आंदोलन, सामाजिक तनाव, सर्दी की मार और विकास योजनाओं की उम्मीदों के बीच एक अहम दौर से गुजर रहा है। आने वाले दिनों में जिले की दिशा काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि प्रशासन संवाद और सख्ती के बीच कितना संतुलन साध पाता है और ग्रामीण-शहरी दोनों वर्गों की आवाज़ को किस हद तक सुना जाता है।
सबसे पहले शहर की छात्र राजनीति पर नज़र डालें तो मुलतानमल भीखचंद छाजेड़ महिला कॉलेज बरमेर में परीक्षा फीस में करीब तीन गुना बढ़ोतरी के खिलाफ चल रहा छात्र आंदोलन थमता नज़र नहीं आ रहा है।[1] छात्राओं का आरोप है कि अचानक बढ़ी फीस से साधारण परिवारों की बेटियों की पढ़ाई पर खतरा मंडरा रहा है।[1] एबीवीपी से जुड़े छात्र नेता भी इस आंदोलन में कूद पड़े, जिसके बाद प्रशासन से टकराव की स्थिति बनी।[1]
सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्र नेताओं ने जिला कलेक्टर टीना डाबी को लेकर टिप्पणी की, जिसके बाद पुलिस ने दो नेताओं को हिरासत में ले लिया।[1] इससे नाराज़ विद्यार्थियों ने थाने के अंदर ही धरना शुरू कर दिया और देर रात तक नारेबाजी होती रही।[1] ग्रामीण इलाकों से भी छात्र संगठनों ने इस आंदोलन को समर्थन देने की बात कही है। फिलहाल कॉलेज प्रबंधन और जिला प्रशासन के बीच बातचीत की कवायद चल रही है, लेकिन अभी तक फीस वृद्धि वापस लेने पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।[1]
इधर जिले के गुड़ामालानी क्षेत्र से प्रेम विवाह को लेकर दो परिवारों के बीच खूनी संघर्ष की चौंकाने वाली घटना सामने आई है।[3] दो दिनों पहले हुए इस विवाद में पहले लड़की पक्ष के लोगों ने लड़के के बड़े भाई पर तेजधार हथियार से हमला कर उसकी नाक काट दी।[3] जवाबी कार्रवाई में लड़के पक्ष के रिश्तेदारों ने लड़की के चाचा की पिटाई कर दी, जिसमें उसका पैर टूट गया।[3] दोनों गंभीर रूप से घायल हैं और उपचाराधीन हैं।[3]
घटना की सूचना पर डीएसपी स्तर के अधिकारी और गुड़ामालानी थाना पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों से अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए हैं।[3] पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टीमें गठित की हैं और गांव में अतिरिक्त जाप्ता तैनात कर दिया गया है।[3] सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे मामलों में पंचायतों को भी सक्रिय होकर बीच-बचाव करना चाहिए, ताकि निजी रंजिश सामुदायिक तनाव में न बदले।
राज्य स्तरीय मौसम अलर्ट का असर बरमेर पर भी पड़ा है। प्रदेश भर में चल रही शीतलहर के बीच जिले के कई हिस्सों, खासकर ग्रामीण इलाकों में सुबह-शाम सड़कों पर सन्नाटा छाया रहा।[4] किसानों ने बताया कि ठंडी हवाओं और कोहरे जैसी स्थिति के कारण पशुपालन और सिंचाई दोनों प्रभावित हो रहे हैं। सिंचाई के लिए मोटर चलाने का समय घट गया है, वहीं खुले में बैठने की मजबूरी से बुजुर्ग और छोटे बच्चों में सर्दी-बुखार के मामले बढ़ रहे हैं।
राज्य सरकार की हाल की घोषणाओं – जैसे सरकारी भवनों पर सोलर सिस्टम लगाने और अवैध खनन पर सख्ती – को लेकर भी स्थानीय राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज है, हालांकि बरमेर जिले के किन-किन क्षेत्रों पर इनका सीधा असर होगा, इस बारे में साफ खाका सामने आने का इंतजार है।[2][4] जिला मुख्यालय पर बैठकों में जनप्रतिनिधि यह मांग उठा रहे हैं कि मरुस्थलीय इलाकों में नवीकरणीय ऊर्जा और जल संरक्षण से जुड़े प्रोजेक्टों को प्राथमिकता दी जाए।
प्रशासनिक हलकों में यह भी चर्चा है कि जिले की कलेक्टर टीना डाबी के पति और आईएएस अधिकारी प्रदीप गवांडे के पदोन्नति आदेश जल्द जारी होने की संभावना है, जिस पर प्रदेश भर की ब्यूरोक्रेसी की नजर है।[5] स्थानीय लोग मानते हैं कि यदि उच्च स्तर पर स्थिर और मजबूत प्रशासनिक टीम बनेगी तो बरमेर जैसे सीमावर्ती और पिछड़े जिले में योजनाओं के ज़मीनी क्रियान्वयन की रफ्तार तेज हो सकती है।[5]
कुल मिलाकर, बरमेर इस समय छात्र आंदोलन, सामाजिक तनाव, सर्दी की मार और विकास योजनाओं की उम्मीदों के बीच एक अहम दौर से गुजर रहा है। आने वाले दिनों में जिले की दिशा काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि प्रशासन संवाद और सख्ती के बीच कितना संतुलन साध पाता है और ग्रामीण-शहरी दोनों वर्गों की आवाज़ को किस हद तक सुना जाता है।