उदयपुर में पर्यटन को नई उड़ान: झीलों की नगरी में चलेंगी डबल-डेकर इलेक्ट्रिक बसें, स्मार्ट सिटी मिशन से मिलेगा बढ़ावा
29 Dec, 2025
Udaipur, Rajasthan
उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर में पर्यटन सुविधाओं को नया आयाम देने की तैयारी तेज हो गई है। अगले साल से शहर में **डबल-डेकर इलेक्ट्रिक टूरिस्ट बसों** का संचालन शुरू किया जाएगा, जिससे देशी‑विदेशी पर्यटकों को शहर की खूबसूरती का अनोखा अनुभव मिल सकेगा[5]। स्थानीय प्रशासन और स्मार्ट सिटी मिशन इसे उदयपुर के हरित एवं सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में देख रहा है[5]।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ये डबल‑डेकर ई‑बसें विशेष रूप से पर्यटन सर्किट के लिए तैयार की जा रही हैं, जिनका रूट प्रमुख झीलों, ऐतिहासिक धरोहरों और दर्शनीय स्थलों के इर्द‑गिर्द तय किया जाएगा[5]। प्रस्तावित रूट में फतेहसागर, पिछोला झील, पुराने शहर क्षेत्र, सिटी पैलेस, सहेलियों की बाड़ी, अहर संग्रहालय और अन्य प्रमुख स्थल शामिल किए जाने पर मंथन चल रहा है। पर्यटकों को एक ही सफर में अधिकतम स्थान दिखाने पर जोर रहेगा ताकि भीड़‑भाड़ कम हो और निजी वाहनों पर निर्भरता घटे।
अधिकारियों के अनुसार, यह पूरा प्रोजेक्ट **इलेक्ट्रिक मोबिलिटी** पर आधारित होगा, जिससे प्रदूषण में कमी आने की उम्मीद है[5]। ई‑बसें बैटरी संचालित होंगी और इनके लिए विशेष चार्जिंग प्वॉइंट विकसित किए जा रहे हैं। शहर के पर्यावरणविदों ने लंबे समय से झीलों और पहाड़ियों के इको‑सिस्टम की रक्षा के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की मांग उठाई थी। प्रशासन का मानना है कि डबल‑डेकर ई‑बसें इस दिशा में एक व्यावहारिक समाधान साबित हो सकती हैं।
पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि डबल‑डेकर बसें उदयपुर की ब्रांड‑इमेज को और मजबूत करेंगी। होटल व टूर ऑपरेटरों का मानना है कि इस पहल से “सिटी टूर” पैकेजों को नया रूप मिलेगा और परिवारों व युवाओं के लिए यह बड़ी आकर्षण का केंद्र बन सकता है। ऊपरी डेक से झीलों, पुराने हेरिटेज बाजारों और पहाड़ियों का पैनोरमिक दृश्य पर्यटकों को एक अलग ही अनुभव देगा।
उदयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड और नगर निगम द्वारा संयुक्त रूप से इस परियोजना की रूपरेखा तैयार की जा रही है[5]। शुरुआती चरण में सीमित संख्या में बसें उतारी जाएंगी और मांग के अनुसार बेड़ा बढ़ाने की योजना है[5]। हर बस में जीपीएस, सीसीटीवी कैमरे, डिजिटल टिकटिंग, ऑडियो‑गाइड सिस्टम और आपातकालीन हेल्प लाइन जैसी सुविधाएं देने पर विचार किया जा रहा है, ताकि सुरक्षा और सुविधा दोनों सुनिश्चित की जा सकें।
स्थानीय निवासियों के बीच भी इस योजना को लेकर उत्सुकता है, हालांकि ट्रैफिक प्रबंधन और सड़कों की चौड़ाई को लेकर कुछ प्रश्न भी उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने शहर की तंग गलियों के बजाय अपेक्षाकृत चौड़ी सड़कों वाले मार्गों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि यातायात बाधित न हो। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, ट्रायल रन के दौरान रूट, समय और भीड़भाड़ का विस्तृत मूल्यांकन किया जाएगा और उसी के आधार पर अंतिम रूट मैप तय होगा।
पर्यावरण के मोर्चे पर यह पहल खास महत्व रखती है, क्योंकि उदयपुर में पर्यटकों की बढ़ती संख्या के साथ निजी वाहनों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। ई‑बसों के आने से कार्बन उत्सर्जन में कमी, पार्किंग दबाव में राहत और झीलों के आसपास के क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण घटने की उम्मीद जताई जा रही है[5]। शहर के कई सामाजिक संगठनों ने इसे “ग्रीन टूरिज्म” की दिशा में स्वागत योग्य कदम बताया है और प्रशासन से अपील की है कि स्थानीय संस्कृति, लोककला और हस्तशिल्प को भी इस टूर बस सेवा के माध्यम से बढ़ावा दिया जाए।
उदयपुर पर्यटन विभाग की योजना है कि बसों में मल्टी‑लैंग्वेज ऑडियो‑कॉमेंट्री के जरिए पर्यटकों को हर स्थल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व समझाया जाए। इसके साथ ही, ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम और कॉम्बो टिकट (बस + स्मारक प्रवेश) जैसे विकल्पों पर भी चर्चा चल रही है, ताकि पर्यटक का अनुभव सहज, सुव्यवस्थित और झंझट‑मुक्त बन सके।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ये डबल‑डेकर ई‑बसें विशेष रूप से पर्यटन सर्किट के लिए तैयार की जा रही हैं, जिनका रूट प्रमुख झीलों, ऐतिहासिक धरोहरों और दर्शनीय स्थलों के इर्द‑गिर्द तय किया जाएगा[5]। प्रस्तावित रूट में फतेहसागर, पिछोला झील, पुराने शहर क्षेत्र, सिटी पैलेस, सहेलियों की बाड़ी, अहर संग्रहालय और अन्य प्रमुख स्थल शामिल किए जाने पर मंथन चल रहा है। पर्यटकों को एक ही सफर में अधिकतम स्थान दिखाने पर जोर रहेगा ताकि भीड़‑भाड़ कम हो और निजी वाहनों पर निर्भरता घटे।
अधिकारियों के अनुसार, यह पूरा प्रोजेक्ट **इलेक्ट्रिक मोबिलिटी** पर आधारित होगा, जिससे प्रदूषण में कमी आने की उम्मीद है[5]। ई‑बसें बैटरी संचालित होंगी और इनके लिए विशेष चार्जिंग प्वॉइंट विकसित किए जा रहे हैं। शहर के पर्यावरणविदों ने लंबे समय से झीलों और पहाड़ियों के इको‑सिस्टम की रक्षा के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की मांग उठाई थी। प्रशासन का मानना है कि डबल‑डेकर ई‑बसें इस दिशा में एक व्यावहारिक समाधान साबित हो सकती हैं।
पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि डबल‑डेकर बसें उदयपुर की ब्रांड‑इमेज को और मजबूत करेंगी। होटल व टूर ऑपरेटरों का मानना है कि इस पहल से “सिटी टूर” पैकेजों को नया रूप मिलेगा और परिवारों व युवाओं के लिए यह बड़ी आकर्षण का केंद्र बन सकता है। ऊपरी डेक से झीलों, पुराने हेरिटेज बाजारों और पहाड़ियों का पैनोरमिक दृश्य पर्यटकों को एक अलग ही अनुभव देगा।
उदयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड और नगर निगम द्वारा संयुक्त रूप से इस परियोजना की रूपरेखा तैयार की जा रही है[5]। शुरुआती चरण में सीमित संख्या में बसें उतारी जाएंगी और मांग के अनुसार बेड़ा बढ़ाने की योजना है[5]। हर बस में जीपीएस, सीसीटीवी कैमरे, डिजिटल टिकटिंग, ऑडियो‑गाइड सिस्टम और आपातकालीन हेल्प लाइन जैसी सुविधाएं देने पर विचार किया जा रहा है, ताकि सुरक्षा और सुविधा दोनों सुनिश्चित की जा सकें।
स्थानीय निवासियों के बीच भी इस योजना को लेकर उत्सुकता है, हालांकि ट्रैफिक प्रबंधन और सड़कों की चौड़ाई को लेकर कुछ प्रश्न भी उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने शहर की तंग गलियों के बजाय अपेक्षाकृत चौड़ी सड़कों वाले मार्गों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि यातायात बाधित न हो। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, ट्रायल रन के दौरान रूट, समय और भीड़भाड़ का विस्तृत मूल्यांकन किया जाएगा और उसी के आधार पर अंतिम रूट मैप तय होगा।
पर्यावरण के मोर्चे पर यह पहल खास महत्व रखती है, क्योंकि उदयपुर में पर्यटकों की बढ़ती संख्या के साथ निजी वाहनों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। ई‑बसों के आने से कार्बन उत्सर्जन में कमी, पार्किंग दबाव में राहत और झीलों के आसपास के क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण घटने की उम्मीद जताई जा रही है[5]। शहर के कई सामाजिक संगठनों ने इसे “ग्रीन टूरिज्म” की दिशा में स्वागत योग्य कदम बताया है और प्रशासन से अपील की है कि स्थानीय संस्कृति, लोककला और हस्तशिल्प को भी इस टूर बस सेवा के माध्यम से बढ़ावा दिया जाए।
उदयपुर पर्यटन विभाग की योजना है कि बसों में मल्टी‑लैंग्वेज ऑडियो‑कॉमेंट्री के जरिए पर्यटकों को हर स्थल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व समझाया जाए। इसके साथ ही, ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम और कॉम्बो टिकट (बस + स्मारक प्रवेश) जैसे विकल्पों पर भी चर्चा चल रही है, ताकि पर्यटक का अनुभव सहज, सुव्यवस्थित और झंझट‑मुक्त बन सके।