झालावाड़ में स्कूल भवन ढहने से सात बच्चों की दर्दनाक मौत, लापरवाही पर सवाल
29 Dec, 2025
Jhalawar, Rajasthan
झालावाड़ जिले के मनोहर थाना क्षेत्र के पिपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। सरकारी प्राथमिक स्कूल का पुराना भवन अचानक ढह गया, जिसमें सात मासूम बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 28 अन्य घायल हो गए।[1][2][3] घटना सुबह करीब 8:30 बजे हुई, जब स्कूल में करीब 40 से अधिक बच्चे, शिक्षक और स्टाफ मौजूद थे। भारी बारिश के कारण कमजोर छत धंस गई, जिससे教室 में पढ़ाई कर रहे बच्चे मलबे के नीचे दब गए।[2][4]
गांव वालों ने बताया कि स्कूल भवन 35 वर्ष पुराना था और बारिश के दौरान छत से पानी टपकने की शिकायतें बार-बार की गई थीं, लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया।[2][6] एक ग्रामीण ने कहा, "हमने कई बार जिला शिक्षा अधिकारी को चिट्ठियां लिखीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब ये हादसा हो गया।" मलबा हटाने के लिए जेसीबी मशीन लगाई गई और घायलों को मनोहर थाना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा झालावाड़ के एसआरजी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। 13 बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है।[3]
प्रशासन ने तत्काल राहत कार्य शुरू कर दिए। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने प्रत्येक मृतक बच्चे के परिवार को 10 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की है।[3] इसके अलावा, मृतकों के नाम पर नए स्कूल कक्ष बनाए जाएंगे। पांच शिक्षकों को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।[3] पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचीं और गांव की स्थिति सुधारने का आश्वासन दिया।[3]
राजनीतिक बवाल भी मच गया। कांग्रेस नेता सचिन पायलट और राहुल गांधी ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया। पायलट ने कहा, "डबल इंजन सरकार के पास सत्ता है, फिर भी स्कूलों की अनदेखी। यह आपराधिक लापरवाही है। दोषियों पर कार्रवाई हो।" शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पूर्व कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया।[3]
यह घटना झालावाड़ में अकेली नहीं है। मात्र 15 किलोमीटर दूर चंदालिया के सरकारी प्राथमिक स्कूल में भी छत टपक रही है और दीवारें दरक रही हैं। अभिभावक डरते हैं कि कहीं यहीं हादसा न हो जाए।[4] राजस्थान हाईकोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे "दिल दहला देने वाली" बताया। जस्टिस अनूप ढांड की बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार से स्कूल भवनों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।[5] कोर्ट ने कहा कि शिक्षा बजट का 6 प्रतिशत होने के बावजूद इंफ्रास्ट्रक्चर कमजोर है। राजस्थान में 32 प्रतिशत स्कूलों में बिजली नहीं, 9 प्रतिशत में पीने का पानी नहीं और 9 प्रतिशत में लड़कों के शौचालय की कमी है।[5] कोर्ट ने सभी स्कूलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने, ऑनलाइन पोर्टल बनाने और ठेकेदारों से रिकवरी के निर्देश दिए।[5]
झालावाड़ जिले में सरकारी स्कूलों की बदहाली लंबे समय से चर्चा में है। ग्रामीण इलाकों में जर्जर भवनों से बच्चे खतरे में हैं। यह हादसा पूरे राज्य के लिए警钟 है। प्रशासन को तुरंत सभी स्कूलों का निरीक्षण कराना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न दोहराए। पीड़ित परिवारों के प्रति श्रद्धांजलि, उनकी पीड़ा कम करने के लिए हर संभव मदद हो। (शब्द संख्या: 498)
गांव वालों ने बताया कि स्कूल भवन 35 वर्ष पुराना था और बारिश के दौरान छत से पानी टपकने की शिकायतें बार-बार की गई थीं, लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया।[2][6] एक ग्रामीण ने कहा, "हमने कई बार जिला शिक्षा अधिकारी को चिट्ठियां लिखीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब ये हादसा हो गया।" मलबा हटाने के लिए जेसीबी मशीन लगाई गई और घायलों को मनोहर थाना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा झालावाड़ के एसआरजी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। 13 बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है।[3]
प्रशासन ने तत्काल राहत कार्य शुरू कर दिए। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने प्रत्येक मृतक बच्चे के परिवार को 10 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की है।[3] इसके अलावा, मृतकों के नाम पर नए स्कूल कक्ष बनाए जाएंगे। पांच शिक्षकों को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।[3] पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचीं और गांव की स्थिति सुधारने का आश्वासन दिया।[3]
राजनीतिक बवाल भी मच गया। कांग्रेस नेता सचिन पायलट और राहुल गांधी ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया। पायलट ने कहा, "डबल इंजन सरकार के पास सत्ता है, फिर भी स्कूलों की अनदेखी। यह आपराधिक लापरवाही है। दोषियों पर कार्रवाई हो।" शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पूर्व कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया।[3]
यह घटना झालावाड़ में अकेली नहीं है। मात्र 15 किलोमीटर दूर चंदालिया के सरकारी प्राथमिक स्कूल में भी छत टपक रही है और दीवारें दरक रही हैं। अभिभावक डरते हैं कि कहीं यहीं हादसा न हो जाए।[4] राजस्थान हाईकोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे "दिल दहला देने वाली" बताया। जस्टिस अनूप ढांड की बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार से स्कूल भवनों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।[5] कोर्ट ने कहा कि शिक्षा बजट का 6 प्रतिशत होने के बावजूद इंफ्रास्ट्रक्चर कमजोर है। राजस्थान में 32 प्रतिशत स्कूलों में बिजली नहीं, 9 प्रतिशत में पीने का पानी नहीं और 9 प्रतिशत में लड़कों के शौचालय की कमी है।[5] कोर्ट ने सभी स्कूलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने, ऑनलाइन पोर्टल बनाने और ठेकेदारों से रिकवरी के निर्देश दिए।[5]
झालावाड़ जिले में सरकारी स्कूलों की बदहाली लंबे समय से चर्चा में है। ग्रामीण इलाकों में जर्जर भवनों से बच्चे खतरे में हैं। यह हादसा पूरे राज्य के लिए警钟 है। प्रशासन को तुरंत सभी स्कूलों का निरीक्षण कराना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न दोहराए। पीड़ित परिवारों के प्रति श्रद्धांजलि, उनकी पीड़ा कम करने के लिए हर संभव मदद हो। (शब्द संख्या: 498)