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फालौदी हादसे की टीस के बीच सर्द लहर का कहर, कस्बे में शोक और सतर्कता

29 Dec, 2025 Phalodi, Rajasthan
फालौदी/जोधपुर। मरुधरा की धरती इन दिनों दोहरी मार झेल रही है—एक ओर मातोडा थाना क्षेत्र में हुई भीषण सड़क दुर्घटना की टीस, दूसरी ओर सर्द लहर का बढ़ता कहर। फालौदी उपखण्ड में लोग अब भी उस दर्दनाक दुर्घटना को भुला नहीं पाए हैं, जिसमें कोलायत धाम से लौट रहे तीर्थयात्रियों से भरी टेंपो ट्रैवलर खड़ी ट्रेलर से टकरा गई थी और एक ही झटके में दर्जनों परिवारों के चिराग बुझ गए थे।[1][3] प्रशासनिक स्तर पर राहत और मुआवजे की घोषणाएँ हो चुकी हैं, मगर शोक संतप्त बस्तियों में अब भी मातम पसरा है।

मातोडा और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में हर गली किसी न किसी शोकसभा की गवाह बनी हुई है। हादसे में मारे गए अधिकांश लोग जोधपुर के सुरसागर और फालौदी क्षेत्र से थे, जो कोलायत में स्नान कर लौट रहे थे।[1][3] ग्रामीणों का कहना है कि हादसे के बाद से रात में हाईवे पर निकलने में डर बैठ गया है। लोगों की मांग है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारी वाहनों के लिए सख्त पार्किंग नियम बनें और पर्याप्त रोशनी तथा चेतावनी संकेत लगाए जाएँ, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।

इस भीषण हादसे को लेकर उच्च स्तर पर भी हलचल जारी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस प्रकरण पर सुनवाई तय की है, जिसमें सड़क सुरक्षा, ओवरलोडिंग, हाईवे पर खड़े ट्रेलरों की निगरानी और बीमा व मुआवजा व्यवस्था की समीक्षा होने की उम्मीद है।[4] कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अदालत से ठोस दिशा-निर्देश निकलते हैं तो फालौदी का यह दर्द देशभर में सड़क सुरक्षा सुधार की एक मिसाल बन सकता है।

इधर सर्दी ने भी रेगिस्तान में दस्तक तेज कर दी है। प्रदेश भर में पड़ रही ठंड का असर फालौदी क्षेत्र पर भी साफ दिख रहा है। मौसम विभाग के आँकड़ों के अनुसार फालौदी में न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे दर्ज होने लगा है और रात के समय शीतलहर का असर महसूस किया जा रहा है। राज्य के कई इलाकों में पारा 5 डिग्री से नीचे चला गया है, जबकि फालौदी सहित पश्चिमी राजस्थान में उत्तर से आ रही ठंडी हवाओं ने लोगों को अलाव का सहारा लेने पर मजबूर कर दिया है।[6] खेतों में सुबह-सुबह ओस की बूंदें सफेद परत की तरह दिखने लगी हैं, जिससे रबी फसलों पर पाले की आशंका बढ़ गई है। किसान समुदाय फसल सुरक्षा के लिए सिंचाई व हल्की सिंकाई जैसे पारंपरिक उपायों का सहारा ले रहा है।

कस्बे में नगर पालिका और प्रशासन की ओर से आमजन को सड़क सुरक्षा और सर्दी से बचाव, दोनों को लेकर जागरूक किया जा रहा है। स्थानीय अस्पताल में हादसे के घायलों के लिए अलग वार्ड बनाए गए हैं, वहीं ठंड के मद्देनज़र रात्रि शेल्टरों में कंबल और बिस्तरों की अतिरिक्त व्यवस्था की जा रही है। सामाजिक संस्थाएँ भी आगे आकर राहत सामग्री बाँट रही हैं और पीड़ित परिवारों के बच्चों की पढ़ाई व आजीविका के लिए सहयोग अभियान चला रही हैं।

फालौदी के नागरिकों का कहना है कि यह समय राजनीति से ऊपर उठकर मानवीय संवेदना और सुनियोजित व्यवस्था का है। लोग चाहते हैं कि हाईवे पर नियमित पेट्रोलिंग, स्पीड मॉनिटरिंग, रिफ्लेक्टर और स्ट्रीट लाइटें बढ़ाई जाएँ, साथ ही बस व टेंपो चालकों के लिए विशेष सुरक्षा प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाए। हादसे की भयावह यादों और सर्द हवा के बीच कस्बा अभी भी सामान्य जीवन की ओर लौटने की कोशिश में है, लेकिन हर शोकसभा से उठती एक ही आवाज़ है—“यह आखिरी हादसा हो, अगली पीढ़ी को ऐसे ज़ख्म न मिलें।”
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