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अलवर में अरावली बचाओ अभियान: कांग्रेस का काटी घाटी में विशाल प्रदर्शन, युवाओं ने सिर मुंडवाकर लिया संकल्प

27 Dec, 2025 Alwar, Rajasthan
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अलवर जिले में शनिवार को 'अरावली बचाओ-जीवन बचाओ' अभियान के तहत कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने काटी घाटी में विशाल प्रदर्शन किया। अलवर जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों कार्यकर्ता अरावली की पहाड़ियों पर चढ़े और 'अरावली बचाओ' के नारे लगाते हुए झंडियां लहराईं। विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने संबोधित करते हुए केंद्र और राज्य सरकार पर अरावली श्रृंखला को नष्ट करने की साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पर्यावरण मंत्रालय की परिभाषा को स्वीकार करने से 100 मीटर से नीचे की पहाड़ियां संरक्षित श्रेणी से बाहर हो गई हैं, जिससे अरावली का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा खतरे में पड़ गया है। जूली ने चेतावनी दी कि अमीर वर्ग तो परिणामों से बच निकल सकता है, लेकिन स्थानीय समुदायों को पर्यावरणीय विनाश का सामना करना पड़ेगा।[1]

इस प्रदर्शन की खासियत युवाओं की सक्रिय भागीदारी रही। कई युवा कार्यकर्ताओं ने अरावली संरक्षण के लिए सिर मुंडवा लिया और सिर पर 'अरावली बचाओ' लिखवा लिया। यह प्रतीकात्मक संकल्प पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया। अलवर के अलावा राज्य भर में कांग्रेस ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए। जयपुर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) मुख्यालय से शहीद स्मारक तक मार्च निकाला गया, जहां राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन पुलिस आयुक्त को सौंपा गया। दौसा, अजमेर और धौलपुर में प्रदर्शन उग्र हो गए, जहां पुलिस से टकराव की स्थिति बनी। दौसा में कार्यकर्ताओं ने डाक बंगले में घुसने की कोशिश की, जबकि अजमेर में डीजे सिस्टम पर आपत्ति जताने पर झड़प हुई।[1]

उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि अरावली राष्ट्रीय धरोहर है और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तथा केंद्रीय मंत्रियों ने स्पष्ट किया है कि इसका कोई नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कांग्रेस पर मुद्दे को राजनीतिक बनाने का आरोप लगाया। कार्यकर्ताओं का कहना है कि अरावली केवल पहाड़ी श्रृंखला नहीं, बल्कि भूजल, जैव विविधता और जीवन का पारिस्थितिक ढाल है। खनन माफियाओं के साथ मिलीभगत से पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है।[1]

अलवर में ठंड भी तेज हो गई है। मौसम केंद्र के अनुसार, शेखावाटी क्षेत्र सहित अलवर, करौली, धौलपुर और भरतपुर में न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई। अलवर में कई जगहों पर पतली बर्फ की परत देखी गई। अगले तीन-चार दिनों तक राज्य में तीव्र ठंड और शीतलहर की स्थिति बनी रहने की संभावना है। पूर्वोत्तर राजस्थान के 11 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। सुबह-शाम तापमान सामान्य से नीचे है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है।[3][5]

अलवर जिले में बहुराष्ट्रीय पेय पदार्थ कंपनियों द्वारा जल संकट को लेकर स्थानीय असंतोष बढ़ रहा है। जल की कमी से निपटने में चुनौतियां उभर रही हैं, जो पर्यावरणीय मुद्दों को और जटिल बना रही हैं।[6][7] ये घटनाएं अलवर को पर्यावरण और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बना रही हैं। कांग्रेस का यह अभियान राज्य स्तर पर जारी रहेगा, जिसमें मजबूत कानूनी सुरक्षा की मांग की जा रही है। (शब्द संख्या: ५०२)
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