Anupgarh में ईसाई मिशनरी का जबरन धर्मांतरण रैकेट उजागर, 454 हिंदुओं का किया गया रूपांतरण
27 Dec, 2025 Anupgarh, Rajasthan
अनूपगढ़, श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ कस्बे में ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित जबरन धर्मांतरण का बड़ा रैकेट पुलिस ने ध्वस्त कर दिया है। 11 वर्षों में 454 हिंदुओं को ईसाई बनाया गया, जिसकी शिकायत पर पुलिस ने मुख्य आरोपी पॉलस बरजो को गिरफ्तार किया।[1][2] यह मामला वार्ड नंबर 14 के अंतर्गत अनूपगढ़ थाना क्षेत्र में सामने आया, जहां 23 वर्षीय संदीप नामक युवक ने शिकायत दर्ज कराई। संदीप ने बताया कि वह एक माह पूर्व अनूपगढ़ रेलवे स्टेशन के पास बाइक स्पेयर पार्ट्स की दुकान पर गया था। वहां दुकान मालिक आर्यन और उसके पिता विनोद से मिला, जिन्हें वह लंबे समय से जानता था। बातचीत के दौरान उन्होंने संदीप से पूछा कि क्या वह शादीशुदा है। नकारात्मक जवाब पर उन्होंने शादी कराने का लालच दिया और फ्रेंड्स मिशनरी प्रेयर बैंड (एफएमपीबी) संगठन से जुड़े पॉलस बरजो से मिलवाया।[1]
पॉलस बरजो ने संदीप को लुभाया कि यदि वह ईसाई धर्म अपना लेगा तो 'प्रभु प्रसन्न होंगे' और शादी हो जाएगी। इसके बाद तीनों आरोपी उसे प्रेम नगर के नहर पर ले गए और पानी में कुछ रस्में उतारकर उसका जबरन धर्मांतरण कर दिया। रूपांतरण के बाद आरोपी संदीप को प्रताड़ित करने लगे और अन्य हिंदुओं को लाने के लिए मजबूर करने लगे। संदीप ने 16 सितंबर को अनूपगढ़ थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिस पर एसएचओ इश्वर जांगिड़ ने कार्रवाई की। पूछताछ में 47 वर्षीय पॉलस बरजो ने चौंकाने वाले खुलासे किए। बरजो मूल रूप से झारखंड के कटिंगेल गांव का निवासी है, जो 1995 में हिंदू से ईसाई बना। 2003 में चेन्नई में एफएमपीबी जॉइन किया और झांसी में प्रशिक्षण लिया। 2004 से 2008 तक राजस्थान, पंजाब व हरियाणा के कई जिलों में रूपांतरण कार्य किया। 2008 से 2016 तक अनूपगढ़ में रहा, फिर अन्य राज्यों में सक्रिय हुआ और 2022 में वापस लौटा।[1]
बरजो ने स्वीकार किया कि संगठन ने उसे प्रतिवर्ष कम से कम 20 लोगों के रूपांतरण का लक्ष्य दिया था। इसके बदले मासिक 9 हजार रुपये वेतन, किराया, भोजन, आध्यात्मिक सभाओं, यात्रा खर्च और बच्चों की स्कूल फीस की भत्ता मिलता था। उसके पास जब्त रजिस्टर में 454 लोगों के नाम व विवरण दर्ज हैं। वह गरीब, असहाय या बीमार हिंदुओं को निशाना बनाता था। मामले में श्यामलाल व सूरजित के नाम भी सामने आए, जो संगठन द्वारा अनूपगढ़ व आसपास के गांवों में तैनात थे। संगठन 2 पीजीएम व 36 जीबी गांवों में चर्च बनाने की योजना बना रहा था, जिसके लिए जमीन खरीद ली गई। विनोद ने चर्च निर्माण के लिए 3.5 लाख रुपये दान दिए।[1][2]
22 सितंबर को अनूपगढ़ कोर्ट ने पॉलस बरजो व आर्यन को 5 दिन की पुलिस रिमांड के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया। विनोद कुमार फरार है, जिसे जल्द गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया गया। जॉइंट इंटरोगेशन सेंटर (जेआईसी) श्रीगंगानगर में पूछताछ जारी है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने सख्त कार्रवाई की मांग की है। जिला मंत्री कृष्णा राव ने कहा कि ऐसे मिशनरी हिंदू देवताओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं। यह रैकेट सिखों को भी निशाना बना रहा था। पुलिस ने जब्त दस्तावेजों की जांच कर रही है और संगठन के अन्य सदस्यों पर नजर रखी है। स्थानीय स्तर पर तनाव बढ़ने की आशंका है, इसलिए प्रशासन सतर्क है। यह घटना राजस्थान में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानूनों की आवश्यकता को रेखांकित करती है। जांच जारी है। (शब्द संख्या: 512)[1][2]