अनूपगढ़ में ईसाई धर्मांतरण का बड़ा रैकेट पकड़ा गया, 11 वर्षों में 454 हिंदुओं का किया गया धर्म परिवर्तन
28 Dec, 2025
Anupgarh, Rajasthan
अनूपगढ़, श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ कस्बे में ईसाई मिशनरी संगठन द्वारा संचालित बड़े पैमाने पर धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने एक युवक की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी पॉलस बरजो को गिरफ्तार किया, जिसने खुलासा किया कि पिछले 11 वर्षों में उसने 454 हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित किया।[1] यह मामला वार्ड नंबर 14 के अंतर्गत अनूपगढ़ थाना क्षेत्र में सामने आया, जहां 23 वर्षीय संदीप नामक युवक ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। संदीप ने बताया कि वह गांव 24 एपीडी का निवासी है और लगभग एक माह पूर्व अनूपगढ़ रेलवे स्टेशन के पास बाइक स्पेयर पार्ट्स की दुकान पर गया था। वहां दुकान मालिक आर्यन और उसके पिता विनोद से मिला, जिन्हें वह पहले से जानता था। बातचीत के दौरान दोनों ने संदीप से पूछा कि क्या वह शादीशुदा है। नकारात्मक जवाब पर उन्होंने शादी कराने का लालच दिया और उसे फ्रेंड्स मिशनरी प्रेयर बैंड (एफएमपीबी) संगठन से जुड़े पॉलस बरजो से मिलवाया।[1]
पॉलस बरजो ने संदीप को ललचाया कि यदि वह ईसाई बन जाए तो 'भगवान प्रसन्न होंगे' और उसे शादी करा दी जाएगी। इसके बाद तीनों आरोपी उसे प्रेम नगर के नहर पर ले गए और पानी में कुछ रस्में उतारकर उसका धर्मांतरण कर दिया। धर्म परिवर्तन के बाद आरोपी संदीप को प्रताड़ित करने लगे और उनसे और हिंदुओं को लाने की मांग करने लगे। संदीप ने थक-हारकर 16 सितंबर को पुलिस में शिकायत की। एसएचओ ईश्वर जांगिड़ ने बताया कि शिकायत पर पॉलस बरजो को हिरासत में लिया गया, जिसने पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए। 47 वर्षीय बरजो मूल रूप से झारखंड के कटिंगेल गांव का निवासी है, जो स्वयं 1995 में हिंदू से ईसाई बना था। उसके बड़े भाई भी ईसाई हैं। बरजो ने 2003 में चेन्नई में एफएमपीबी जॉइन किया और झांसी में प्रशिक्षण लिया। 2004 से 2008 तक उसने राजस्थान, पंजाब व हरियाणा के कई जिलों में धर्मांतरण किया। 2008 से 2016 तक अनूपगढ़ में रहा, फिर अन्य राज्यों में सक्रिय हुआ और 2022 में वापस अनूपगढ़ लौटा।[1]
बरजो ने बताया कि संगठन उसे प्रतिवर्ष कम से कम 20 लोगों के धर्मांतरण का लक्ष्य देता था। इसके बदले उसे 9 हजार रुपये मासिक वेतन, किराया, भोजन, आध्यात्मिक सभाओं, यात्रा खर्च और बच्चों की स्कूल फीस की भत्ता मिलता था। उसके पास जब्त रजिस्टर में परिवर्तित लोगों के नाम व विवरण दर्ज हैं। वह गरीब, असहाय या बीमार हिंदुओं को निशाना बनाता था। मामले में श्यामलाल व सूरजित के नाम भी सामने आए, जो संगठन द्वारा अनूपगढ़ व आसपास के गांवों में तैनात थे। संगठन 2 पीजीएम व 36 जीबी गांवों में चर्च बनाने की योजना बना रहा था, जिसके लिए जमीन खरीद ली गई। विनोद ने चर्च के लिए 3.5 लाख रुपये दान दिए।[1] विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने सख्त कार्रवाई की मांग की है। वीएचपी जिला मंत्री कृष्णा राव ने कहा कि ऐसे मिशनरी हिंदू देवताओं के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हैं। पुलिस जांच जारी है और और लोगों से पूछताछ हो रही है। यह घटना क्षेत्र में धर्मांतरण के खिलाफ जागरूकता बढ़ा रही है। स्थानीय लोगों में आक्रोश है और संगठन के अन्य सदस्यों की तलाश तेज हो गई है। अनूपगढ़ पुलिस ने कहा कि सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है। (शब्द संख्या: 512)
पॉलस बरजो ने संदीप को ललचाया कि यदि वह ईसाई बन जाए तो 'भगवान प्रसन्न होंगे' और उसे शादी करा दी जाएगी। इसके बाद तीनों आरोपी उसे प्रेम नगर के नहर पर ले गए और पानी में कुछ रस्में उतारकर उसका धर्मांतरण कर दिया। धर्म परिवर्तन के बाद आरोपी संदीप को प्रताड़ित करने लगे और उनसे और हिंदुओं को लाने की मांग करने लगे। संदीप ने थक-हारकर 16 सितंबर को पुलिस में शिकायत की। एसएचओ ईश्वर जांगिड़ ने बताया कि शिकायत पर पॉलस बरजो को हिरासत में लिया गया, जिसने पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए। 47 वर्षीय बरजो मूल रूप से झारखंड के कटिंगेल गांव का निवासी है, जो स्वयं 1995 में हिंदू से ईसाई बना था। उसके बड़े भाई भी ईसाई हैं। बरजो ने 2003 में चेन्नई में एफएमपीबी जॉइन किया और झांसी में प्रशिक्षण लिया। 2004 से 2008 तक उसने राजस्थान, पंजाब व हरियाणा के कई जिलों में धर्मांतरण किया। 2008 से 2016 तक अनूपगढ़ में रहा, फिर अन्य राज्यों में सक्रिय हुआ और 2022 में वापस अनूपगढ़ लौटा।[1]
बरजो ने बताया कि संगठन उसे प्रतिवर्ष कम से कम 20 लोगों के धर्मांतरण का लक्ष्य देता था। इसके बदले उसे 9 हजार रुपये मासिक वेतन, किराया, भोजन, आध्यात्मिक सभाओं, यात्रा खर्च और बच्चों की स्कूल फीस की भत्ता मिलता था। उसके पास जब्त रजिस्टर में परिवर्तित लोगों के नाम व विवरण दर्ज हैं। वह गरीब, असहाय या बीमार हिंदुओं को निशाना बनाता था। मामले में श्यामलाल व सूरजित के नाम भी सामने आए, जो संगठन द्वारा अनूपगढ़ व आसपास के गांवों में तैनात थे। संगठन 2 पीजीएम व 36 जीबी गांवों में चर्च बनाने की योजना बना रहा था, जिसके लिए जमीन खरीद ली गई। विनोद ने चर्च के लिए 3.5 लाख रुपये दान दिए।[1] विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने सख्त कार्रवाई की मांग की है। वीएचपी जिला मंत्री कृष्णा राव ने कहा कि ऐसे मिशनरी हिंदू देवताओं के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हैं। पुलिस जांच जारी है और और लोगों से पूछताछ हो रही है। यह घटना क्षेत्र में धर्मांतरण के खिलाफ जागरूकता बढ़ा रही है। स्थानीय लोगों में आक्रोश है और संगठन के अन्य सदस्यों की तलाश तेज हो गई है। अनूपगढ़ पुलिस ने कहा कि सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है। (शब्द संख्या: 512)