Land Collapse After Heavy Rainfall Triggers Alarm in Sawai Madhopur, Administration on High Alert
28 Dec, 2025
Sawai Madhopur, Rajasthan
सवाई माधोपुर ज़िले में बीते कई दिनों से जारी तेज बारिश के बाद हालात फिर से चिंताजनक होते नज़र आ रहे हैं। ज़िले के एक क्षेत्र में बड़ी भू-धंसान (लैंड केव-इन) की ताज़ा घटना ने स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों दोनों की चिंता बढ़ा दी है। शुरुआती जानकारी के अनुसार लगातार वर्षा से ज़मीन का कटाव बढ़ने के बाद एक बड़े हिस्से की मिट्टी धंस गई, जिससे आसपास के इलाक़े में दरारें और धंसाव के नए खतरे पैदा हो गए हैं।[4]
एजेंसी रिपोर्टों के मुताबिक, सवाई माधोपुर में रविवार को हुई इस घटना के दौरान खेतों और खाली पड़ी ज़मीन का बड़ा हिस्सा अचानक नीचे धंस गया।[4] ग़नीमत रही कि धंसान वाले हिस्से के नज़दीक कोई पक्का मकान या भीड़-भाड़ वाला इलाक़ा नहीं था, जिसके कारण किसी जनहानि की सूचना नहीं है। फिर भी आसपास के गांवों के लोग बेहद सहमे हुए हैं और कई परिवार सुरक्षा की दृष्टि से अपने कच्चे घरों से दूर परिजनों के यहां या सामुदायिक भवनों में शरण ले रहे हैं।
मौसम विभाग के ताज़ा अनुमान के अनुसार, सवाई माधोपुर और आसपास के ज़िलों में हाल के दिनों में सामान्य से कहीं अधिक बारिश दर्ज की गई है, जिसके चलते पहले भी जलभराव और छोटे-मोटे कटाव के मामलों की शिकायतें आती रही हैं। पिछले मानसून में भी ज़िले के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ जैसे हालात बने थे, जब गांवों में पानी घुसने, खेतों के डूबने और सड़कों के क्षतिग्रस्त होने की खबरें सामने आई थीं।[1][2][3] उस दौरान सुरवाल सहित कई गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए थे और दर्जनों परिवारों को घर छोड़कर अस्थायी कैंपों में शरण लेनी पड़ी थी।[2][3]
नवीनतम भू-धंसान की घटना के बाद जिला प्रशासन तुरंत सक्रिय हुआ है। स्थानीय प्रशासन ने राजस्व, आपदा प्रबंधन और तकनीकी टीमों को मौके पर भेजकर भूगर्भीय स्थिति का आकलन शुरू कर दिया है। अधिकारियों के अनुसार, प्राथमिक जांच में लगातार बारिश से मिट्टी की परतों के कमज़ोर होने और भूमिगत कटान को मुख्य कारण माना जा रहा है, लेकिन पुख़्ता निष्कर्ष के लिए विस्तृत सर्वे कराया जाएगा।[4] इंजीनियरों और भू-वैज्ञानिकों की टीम को भी संभावित जोखिम वाले इलाक़ों की मैपिंग का निर्देश दिया गया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को लेकर पहले ही चेतावनी जारी की जा सके।
इधर, ज़िला प्रशासन ने स्थानीय ग्रामीणों से अपील की है कि वे दरारें, धंसान या असामान्य ज़मीनी हलचल दिखने पर तुरंत नज़दीकी पटवारी, ग्राम पंचायत या कंट्रोल रूम को सूचना दें। प्रशासन ने गांवों में मुनादी के ज़रिए लोगों को कच्चे मकानों, ढलान वाले खेतों और नालों के किनारे रहने से परहेज़ करने की सलाह दी है। राजस्व टीम संभावित प्रभावित परिवारों की सूची तैयार कर रही है, ताकि ज़रूरत पड़ने पर पुनर्वास और मुआवज़े की प्रक्रिया में देरी न हो।
सवाई माधोपुर के लिए यह घटना ऐसे समय सामने आई है, जब पूरा ज़िला अब तक हालिया भारी वर्षा के प्रभाव से उबरने की कोशिश कर रहा है। बाढ़ और पानी भराव के कारण पिछली बार बड़ी संख्या में किसानों की फसलें चौपट हो गई थीं और ग्रामीण इलाक़ों में बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा था।[1][2][3] विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और असामान्य वर्षा पैटर्न के चलते भविष्य में भी ऐसी चरम घटनाओं की आवृत्ति बढ़ सकती है, इसलिए ज़रूरी है कि प्रशासन निचले और कटान-प्रभावित इलाक़ों की समय रहते पहचान कर उनकी मज़बूती, जलनिकासी और वैकल्पिक बसावट की दीर्घकालिक योजना बनाए।
स्थानीय सामाजिक संगठनों और युवाओं ने भी प्रभावित क्षेत्र में राहत व जागरूकता अभियान शुरू किया है। स्वयंसेवक घर-घर जाकर लोगों को भू-धंसान के ख़तरे, बारिश के दौरान सुरक्षित ठहरने के स्थान और आपदा की स्थिति में संपर्क किए जाने वाले फ़ोन नंबरों की जानकारी दे रहे हैं। ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि सरकार ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों को “अति जोखिम ज़ोन” घोषित कर विशेष पैकेज दे, ताकि मकानों के सुदृढ़ीकरण, नालों की सफ़ाई, और सड़क एवं पुलिया निर्माण जैसे काम तेज़ी से हो सकें।
एजेंसी रिपोर्टों के मुताबिक, सवाई माधोपुर में रविवार को हुई इस घटना के दौरान खेतों और खाली पड़ी ज़मीन का बड़ा हिस्सा अचानक नीचे धंस गया।[4] ग़नीमत रही कि धंसान वाले हिस्से के नज़दीक कोई पक्का मकान या भीड़-भाड़ वाला इलाक़ा नहीं था, जिसके कारण किसी जनहानि की सूचना नहीं है। फिर भी आसपास के गांवों के लोग बेहद सहमे हुए हैं और कई परिवार सुरक्षा की दृष्टि से अपने कच्चे घरों से दूर परिजनों के यहां या सामुदायिक भवनों में शरण ले रहे हैं।
मौसम विभाग के ताज़ा अनुमान के अनुसार, सवाई माधोपुर और आसपास के ज़िलों में हाल के दिनों में सामान्य से कहीं अधिक बारिश दर्ज की गई है, जिसके चलते पहले भी जलभराव और छोटे-मोटे कटाव के मामलों की शिकायतें आती रही हैं। पिछले मानसून में भी ज़िले के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ जैसे हालात बने थे, जब गांवों में पानी घुसने, खेतों के डूबने और सड़कों के क्षतिग्रस्त होने की खबरें सामने आई थीं।[1][2][3] उस दौरान सुरवाल सहित कई गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए थे और दर्जनों परिवारों को घर छोड़कर अस्थायी कैंपों में शरण लेनी पड़ी थी।[2][3]
नवीनतम भू-धंसान की घटना के बाद जिला प्रशासन तुरंत सक्रिय हुआ है। स्थानीय प्रशासन ने राजस्व, आपदा प्रबंधन और तकनीकी टीमों को मौके पर भेजकर भूगर्भीय स्थिति का आकलन शुरू कर दिया है। अधिकारियों के अनुसार, प्राथमिक जांच में लगातार बारिश से मिट्टी की परतों के कमज़ोर होने और भूमिगत कटान को मुख्य कारण माना जा रहा है, लेकिन पुख़्ता निष्कर्ष के लिए विस्तृत सर्वे कराया जाएगा।[4] इंजीनियरों और भू-वैज्ञानिकों की टीम को भी संभावित जोखिम वाले इलाक़ों की मैपिंग का निर्देश दिया गया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को लेकर पहले ही चेतावनी जारी की जा सके।
इधर, ज़िला प्रशासन ने स्थानीय ग्रामीणों से अपील की है कि वे दरारें, धंसान या असामान्य ज़मीनी हलचल दिखने पर तुरंत नज़दीकी पटवारी, ग्राम पंचायत या कंट्रोल रूम को सूचना दें। प्रशासन ने गांवों में मुनादी के ज़रिए लोगों को कच्चे मकानों, ढलान वाले खेतों और नालों के किनारे रहने से परहेज़ करने की सलाह दी है। राजस्व टीम संभावित प्रभावित परिवारों की सूची तैयार कर रही है, ताकि ज़रूरत पड़ने पर पुनर्वास और मुआवज़े की प्रक्रिया में देरी न हो।
सवाई माधोपुर के लिए यह घटना ऐसे समय सामने आई है, जब पूरा ज़िला अब तक हालिया भारी वर्षा के प्रभाव से उबरने की कोशिश कर रहा है। बाढ़ और पानी भराव के कारण पिछली बार बड़ी संख्या में किसानों की फसलें चौपट हो गई थीं और ग्रामीण इलाक़ों में बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा था।[1][2][3] विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और असामान्य वर्षा पैटर्न के चलते भविष्य में भी ऐसी चरम घटनाओं की आवृत्ति बढ़ सकती है, इसलिए ज़रूरी है कि प्रशासन निचले और कटान-प्रभावित इलाक़ों की समय रहते पहचान कर उनकी मज़बूती, जलनिकासी और वैकल्पिक बसावट की दीर्घकालिक योजना बनाए।
स्थानीय सामाजिक संगठनों और युवाओं ने भी प्रभावित क्षेत्र में राहत व जागरूकता अभियान शुरू किया है। स्वयंसेवक घर-घर जाकर लोगों को भू-धंसान के ख़तरे, बारिश के दौरान सुरक्षित ठहरने के स्थान और आपदा की स्थिति में संपर्क किए जाने वाले फ़ोन नंबरों की जानकारी दे रहे हैं। ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि सरकार ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों को “अति जोखिम ज़ोन” घोषित कर विशेष पैकेज दे, ताकि मकानों के सुदृढ़ीकरण, नालों की सफ़ाई, और सड़क एवं पुलिया निर्माण जैसे काम तेज़ी से हो सकें।