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Dungarpur में RSS-Bajrang Dal ने चर्च में घुसकर मास बाधित किया, जबरन धर्मांतरण का आरोप

27 Dec, 2025 Dungarpur, Rajasthan
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डूंगरपुर जिले के बिचीवाड़ा गांव में 13 दिसंबर 2025 को एक बड़ा विवादास्पद घटना घटी, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बजरंग दल के सदस्यों ने सेंट जोसेफ कैथोलिक चर्च में घुसकर चल रही रविवार की मास को बाधित कर दिया। आरोप लगाया गया कि चर्च में जबरन धार्मिक रूपांतरण कराया जा रहा है। घटना के दौरान आरएसएस और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पुजारी और भक्तों से भिड़ गए, उन्हें धमकी दी और पूजा-अर्चना पर सवाल उठाए। स्थानीय लोगों के अनुसार, कार्यकर्ता चर्च में घुस आए और चिल्लाने लगे कि 'यहां प्रार्थना नहीं चलेगी, जबरन कन्वर्जन बंद करो'। पुजारी ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि चर्च केवल धार्मिक सेवाएं प्रदान करता है और कोई जबरन धर्मांतरण नहीं हो रहा।[2][5][6][7][8]

पुलिस को सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची और मामले को शांत किया। चर्च पक्ष ने जिला प्रशासन में शिकायत दर्ज कराई, जबकि हिंदू संगठनों ने दावा किया कि आदिवासी परिवारों को निशाना बनाकर ईसाई साहित्य बांटा जा रहा है। यह घटना डूंगरपुर में हाल की दूसरी बड़ी घटना है। इससे पहले, एक चंगाई सभा के दौरान आठ लोगों को कथित धार्मिक रूपांतरण के आरोप में हिरासत में लिया गया था। हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि आदिवासी परिवारों को लक्षित किया जा रहा था और मौके से ईसाई किताबें बरामद हुईं। जांच जारी है।[1]

डूंगरपुर, जो राजस्थान के दक्षिणी हिस्से में स्थित आदिवासी बहुल जिला है, हाल ही में धार्मिक तनाव की खबरों से सुर्खियों में है। ईसाई समुदाय का कहना है कि ये घटनाएं क्रिसमस से पहले हुईं, जब पूरे भारत में ईसाई समुदाय पर हमलों की खबरें बढ़ गई थीं। कैथोलिक कनेक्ट और मैटर्स इंडिया जैसे स्रोतों के अनुसार, बिचीवाड़ा चर्च में 10:30 बजे चल रही मास के दौरान आरएसएस-बजरंग दल के सदस्यों ने प्रवेश किया, पुजारी को घेरा और उपासकों को डराया। पुलिस ने हस्तक्षेप कर कार्यकर्ताओं को बाहर निकाला, लेकिन तनाव बरकरार है।[5][6][7]

इस बीच, जिले में अन्य सामाजिक मुद्दे भी सामने आ रहे हैं। 4 दिसंबर को डूंगरपुर रेलवे स्टेशन पर रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ), चाइल्ड लाइन और श्रीष्टि सेवा संस्थान ने 22 नाबालिग बच्चों को ट्रैफिकिंग से बचाया। ये बच्चे गुजरात के असरोवा ले जाए जा रहे थे, जहां उन्हें कैटरिंग वर्क के लिए शोषित किया जाता। तीन एजेंट- जयचंद, आशीष और संजय- को हिरासत में लिया गया। बच्चे जिले के झोठारी, बेडसा, सिमलवाड़ा और मेवाड़ा गांवों के थे। चाइल्ड वेलफेयर कमिटी ने उन्हें केयर होम में भेज दिया और ट्रैफिकिंग नेटवर्क की जांच तेज कर दी।[4]

इसके अलावा, डूंगरपुर में अवैध गर्भपात दवाओं की बिक्री भी जारी है। एमटीपी किट बिना प्रिस्क्रिप्शन के आसानी से मिल रही हैं, जो जोधपुर एक्सपोज के बाद भी नहीं रुकी। स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी की है।[9] पर्यटन के लिहाज से, डूंगरपुर गुजरातवासियों के लिए न्यू ईयर सेलिब्रेशन का नया हॉटस्पॉट बन रहा है, जहां नए होटल खुल रहे हैं।[3]

ये घटनाएं डूंगरपुर की शांति को चुनौती दे रही हैं। स्थानीय प्रशासन ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए जिला मजिस्ट्रेट ने बैठक बुलाई है। आदिवासी क्षेत्र होने से सामाजिक संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। (शब्द संख्या: 498)
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