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Jalore Panchayat's Shocking Smartphone Ban on Women Sparks Outrage

27 Dec, 2025 Jalore, Rajasthan
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जालोर जिले के सुंधामाता पट्टी क्षेत्र में चौधरी समाज की पंचायत ने 15 गांवों की बहुओं-बेटियों पर स्मार्टफोन इस्तेमाल करने का मनमाना फरमान जारी कर दिया है। यह फैसला रविवार को 14 पट्टियों के अध्यक्ष सुजनाराम चौधरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया, जिसमें 26 जनवरी से कैमरा वाले मोबाइल फोन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया गया।[1] पंचायत के अनुसार, महिलाओं को सार्वजनिक समारोहों से लेकर पड़ोसी के घर जाने तक फोन ले जाने की मनाही होगी। इस फैसले का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे पूरे देश में बहस छिड़ गई है।[1]

जालोर जिले के इन 15 गांवों में रहने वाली महिलाओं और लड़कियों के लिए यह फरमान तुगलकी सुल्तान के आदेश जैसा लग रहा है। पंचायत सदस्यों का दावा है कि स्मार्टफोन से महिलाओं का ध्यान भटकता है और सामाजिक मूल्यों का हनन होता है, लेकिन इसकी कोई ठोस वजह नहीं बताई गई। बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक, 26 जनवरी से न केवल स्मार्टफोन बल्कि कैमरा युक्त कोई भी फोन महिलाओं के पास नहीं होगा। पड़ोसियों के घर या किसी सामाजिक आयोजन में फोन ले जाना भी अपराध माना जाएगा।[1] वायरल वीडियो में पंचायत सदस्यों को साफ-साफ कहते सुना जा सकता है कि 'बाहू-बेटियां फोन का उपयोग नहीं कर सकेंगी।'[1]

यह मामला सुंधामाता पट्टी के चौधरी समाज से जुड़ा है, जहां 14 पट्टियों के प्रतिनिधि इकट्ठा हुए थे। सुजनाराम चौधरी ने बैठक की अगुवाई की और इस विवादास्पद फैसले को मंजूरी दी। सोशल मीडिया पर #JaloreNews, #MobileBan और #WomenRights जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग इसे महिलाओं के अधिकारों पर हमला बता रहे हैं। फर्स्ट इंडिया न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो वायरल है, लेकिन इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं की गई।[1] फिर भी, ग्रामीण इलाकों में पंचायतों की मनमानी के कई उदाहरण पहले भी सामने आ चुके हैं, जो डिजिटल स्वतंत्रता और लिंग समानता पर सवाल उठाते हैं।

इस फैसले से जालोर जिले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दल इसे राजस्थान सरकार की नाकामी बता रहे हैं, जबकि स्थानीय प्रशासन अभी चुप्पी साधे हुए है। महिला आयोग और सामाजिक संगठन सक्रिय हो सकते हैं। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि स्मार्टफोन उनके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सूचना और परिवार से जुड़ाव का माध्यम है। प्रतिबंध से उनकी स्वतंत्रता छिन जाएगी। जालोर जैसे पिछड़े जिले में जहां डिजिटल डिवाइड पहले से मौजूद है, यह फैसला और गहरा असर डालेगा।[1]

वायरल वीडियो में पंचायत सदस्यों के बयान साफ हैं: '26 जनवरी से बैन लागू होगा। सार्वजनिक समारोह से पड़ोसी के घर तक फोन पर पाबंदी।'[1] यह घटना राजस्थान के ग्रामीण समाज में बदलते मूल्यों को उजागर करती है। क्या पंचायतें 21वीं सदी में भी महिलाओं पर नियंत्रण रखेंगी? यह सवाल अब पूरे देश में गूंज रहा है। जालोर प्रशासन को इसकी निगरानी करनी चाहिए ताकि कानून का पालन हो। फिलहाल, सोशल मीडिया पर बहस जारी है और महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई तेज हो रही है। (शब्द संख्या: ५१२)
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