Barmer College Fee Hike Protest: छात्र नेताओं की हिरासत से भड़का विवाद, टिना डाबी को 'रील स्टार' कहने पर पुलिस कार्रवाई
27 Dec, 2025
Barmer
बाड़मेर जिले के मुल्तानमल भिखचंद छजेड़ महिला महाविद्यालय में परीक्षा शुल्क में लगभग तिगुनी वृद्धि के खिलाफ छात्राओं का आंदोलन तेज हो गया है। 20 दिसंबर को शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन ने राजनीतिक रंग ले लिया है, जब पुलिस ने दो छात्र नेताओं को जिला कलेक्टर टिना डाबी को 'रील स्टार' कहने के आरोप में हिरासत में ले लिया। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है और व्यापक विवाद खड़ा कर दिया है[1][3][4]।
महाविद्यालय की छात्राओं ने शुल्क वृद्धि को आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए अन्यायपूर्ण बताते हुए विरोध जताया। उन्होंने प्रशासन से बार-बार अपील की, लेकिन कोई सुनवाई न होने पर सड़कों पर उतर आईं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ी कई छात्राएं इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं। प्रदर्शन के दौरान अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) और उपखंड मजिस्ट्रेट (एसडीएम) छात्राओं को शांत करने पहुंचे। एसडीएम ने कलेक्टर टिना डाबी को 'रोल मॉडल' बताते हुए शुल्क वृद्धि पर विचार करने का आश्वासन दिया। लेकिन छात्राओं ने इसका विरोध किया और कहा कि उनके असली रोल मॉडल अहिल्याबाई होलकर और रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाएं हैं, न कि सोशल मीडिया स्टार। उन्होंने टिना डाबी को 'रील स्टार' कहकर उनकी शिकायतों पर ध्यान न देने का आरोप लगाया[4][5]।
इसके बाद पुलिस ने एबीवीपी से जुड़े दो छात्र नेताओं को कोतवाली थाने ले जाकर हिरासत में ले लिया। छात्राओं ने इसे दमनकारी कार्रवाई बताते हुए दर्जनों की संख्या में थाने पर धरना दे दिया। नारे लगाते हुए उन्होंने नेताओं की रिहाई की मांग की। स्थिति बिगड़ते ही बाड़मेर एसपी नरेंद्र सिंह मीणा मौके पर पहुंचे। एसपी ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि पुलिस ने गलती की है। 'हम मानते हैं, हमने गलती की,' उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे जनता में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं[1][4]।
कुछ देर बाद दोनों छात्र नेताओं को रिहा कर दिया गया, लेकिन छात्राएं शुल्क वृद्धि वापस लेने तक आंदोलन जारी रखने पर अड़ी हुई हैं। टिना डाबी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कोई गिरफ्तारी या हिरासत नहीं हुई। उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर प्रचार पाने की साजिश बताया[1][5]। छात्राओं का कहना है कि शुल्क वृद्धि से गरीब छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित होगी और वे पारदर्शी जांच की मांग कर रही हैं।
यह विवाद बाड़मेर में शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर कर रहा है। जिले में पहले भी शुल्क वृद्धि जैसे मुद्दों पर विरोध हुए हैं, लेकिन इस बार आईएएस अधिकारी टिना डाबी का नाम जुड़ने से मामला गरमा गया। एबीवीपी ने इसे छात्र अधिकारों पर हमला बताते हुए राज्य स्तर पर समर्थन जुटाने का ऐलान किया है। प्रशासन ने शुल्क समीक्षा का भरोसा दिलाया है, लेकिन छात्राएं संतुष्ट नहीं हैं। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें पूरी न हुईं तो और बड़ा प्रदर्शन होगा। बाड़मेर जैसे सीमावर्ती जिले में युवाओं की निराशा बढ़ रही है, जहां शिक्षा पहुंच सीमित है। स्थानीय व्यापारी और अभिभावक भी छात्राओं के पक्ष में उतर आए हैं। पुलिस ने शांति बनाए रखने के निर्देश जारी किए हैं, जबकि सोशल मीडिया पर #BarmerFeeHike और #ReleaseStudentLeaders जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं[1][3][4]।
इस घटना ने राजस्थान की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दल इसे प्रशासनिक अहंकार का प्रतीक बता रहे हैं। बाड़मेर जिला, जो अपनी रेगिस्तानी संस्कृति और सीमा सुरक्षा के लिए जाना जाता है, आज शिक्षा के मुद्दे पर सुर्खियों में है। उम्मीद है कि संवाद से यह विवाद शांत होगा और छात्राओं को न्याय मिलेगा। (शब्द संख्या: ५१२)
महाविद्यालय की छात्राओं ने शुल्क वृद्धि को आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए अन्यायपूर्ण बताते हुए विरोध जताया। उन्होंने प्रशासन से बार-बार अपील की, लेकिन कोई सुनवाई न होने पर सड़कों पर उतर आईं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ी कई छात्राएं इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं। प्रदर्शन के दौरान अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) और उपखंड मजिस्ट्रेट (एसडीएम) छात्राओं को शांत करने पहुंचे। एसडीएम ने कलेक्टर टिना डाबी को 'रोल मॉडल' बताते हुए शुल्क वृद्धि पर विचार करने का आश्वासन दिया। लेकिन छात्राओं ने इसका विरोध किया और कहा कि उनके असली रोल मॉडल अहिल्याबाई होलकर और रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाएं हैं, न कि सोशल मीडिया स्टार। उन्होंने टिना डाबी को 'रील स्टार' कहकर उनकी शिकायतों पर ध्यान न देने का आरोप लगाया[4][5]।
इसके बाद पुलिस ने एबीवीपी से जुड़े दो छात्र नेताओं को कोतवाली थाने ले जाकर हिरासत में ले लिया। छात्राओं ने इसे दमनकारी कार्रवाई बताते हुए दर्जनों की संख्या में थाने पर धरना दे दिया। नारे लगाते हुए उन्होंने नेताओं की रिहाई की मांग की। स्थिति बिगड़ते ही बाड़मेर एसपी नरेंद्र सिंह मीणा मौके पर पहुंचे। एसपी ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि पुलिस ने गलती की है। 'हम मानते हैं, हमने गलती की,' उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे जनता में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं[1][4]।
कुछ देर बाद दोनों छात्र नेताओं को रिहा कर दिया गया, लेकिन छात्राएं शुल्क वृद्धि वापस लेने तक आंदोलन जारी रखने पर अड़ी हुई हैं। टिना डाबी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कोई गिरफ्तारी या हिरासत नहीं हुई। उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर प्रचार पाने की साजिश बताया[1][5]। छात्राओं का कहना है कि शुल्क वृद्धि से गरीब छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित होगी और वे पारदर्शी जांच की मांग कर रही हैं।
यह विवाद बाड़मेर में शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर कर रहा है। जिले में पहले भी शुल्क वृद्धि जैसे मुद्दों पर विरोध हुए हैं, लेकिन इस बार आईएएस अधिकारी टिना डाबी का नाम जुड़ने से मामला गरमा गया। एबीवीपी ने इसे छात्र अधिकारों पर हमला बताते हुए राज्य स्तर पर समर्थन जुटाने का ऐलान किया है। प्रशासन ने शुल्क समीक्षा का भरोसा दिलाया है, लेकिन छात्राएं संतुष्ट नहीं हैं। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें पूरी न हुईं तो और बड़ा प्रदर्शन होगा। बाड़मेर जैसे सीमावर्ती जिले में युवाओं की निराशा बढ़ रही है, जहां शिक्षा पहुंच सीमित है। स्थानीय व्यापारी और अभिभावक भी छात्राओं के पक्ष में उतर आए हैं। पुलिस ने शांति बनाए रखने के निर्देश जारी किए हैं, जबकि सोशल मीडिया पर #BarmerFeeHike और #ReleaseStudentLeaders जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं[1][3][4]।
इस घटना ने राजस्थान की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दल इसे प्रशासनिक अहंकार का प्रतीक बता रहे हैं। बाड़मेर जिला, जो अपनी रेगिस्तानी संस्कृति और सीमा सुरक्षा के लिए जाना जाता है, आज शिक्षा के मुद्दे पर सुर्खियों में है। उम्मीद है कि संवाद से यह विवाद शांत होगा और छात्राओं को न्याय मिलेगा। (शब्द संख्या: ५१२)
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